हे भारत के रत्न
तुम्हे मेरा शत बार नमन
मौन हो गयी चारो दिशाएँ,
शान्त हो गयी
सभी हवाये ,
उदय हुआ
गहन उदासी ले
सूर्य भी
पर निस्तेज सा
जैसे कही कुछ खो गया
कोई बहुत अपना
बस यही खो गया
मौन हो चले सभी
सुबह के कलरव
बस
छाई एक निस्तब्धता
एक शून्यता
शब्द हुए व्यर्थ
बस एक मौन श्रध्दांजलि
अर्पित
वीरता को समर्पित
हे भारत के रत्न
तुम्हे मेरा शत बार नमन
नमन तुम्हें मेरा शत बार नमन
अरूण