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बच्चों का प्यार

इंद्रधनुषी रंगों से रंग देते हैं वो
अपने प्यार को कोरे कागज पर।
कितने मासूम होते हैं वो
फिदा हो जाता हूं मैं इस आदत पर।
क्या मैं इतना मासूम बन सकता हूं
सोचता रहता हूं मैं तन्हाई में
इतनी परत काम ,क्रोध,लोभ,मोह
की चढ़ी है वक्त लगेगा हटाने में।
काश मेरा बचपन फिर से लौट पाता
मैं फिर से मिट्टी का घरौंदा बनाता।
मैं घुल मिल पाता अपने छोटे छोटे
दोस्तों से
किसी प्रकार का भेदभाव मैं नहीं पाता।
तरस गया हूं इस तरह का जीवन
जीने के लिए
आजकल तो सिर्फ विश ही मिलता है पीने के लिए।
ये बच्चे मुझे अमृत का सा सकून देते हैं,
शायद इसीलिए इन्हें भगवान का रूप कहते हैं।
जी चाहता है गुज़र जाए मेरी जिंदगी
इन्हीं के साथ
ये आजकल के हीरे हैं अनमोल
साथ हों ये दिन रात
हीरेंद्र चौधरी
9818020432

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