दोस्त, तेरा चेहरा जो है बिल्कुल नूरानी है।
सो, तुझको चाहने की हमें बीमारी है।।
उसकी आँखों में तेवर और होशयारी है।
आज फिर से पड़ोसी ने की ग़द्दारी है।।
दिल से दिल तक पहुँचती हैं जिनकी बातें।
असल में वही बातें होती असर कारी हैं।।
और बेटी से होती हरेक आँगन में रौनक।
सच कहूँ तो ये हर घर की फुलवारी हैं।।
कहाँ दिखती हैं वो दोस्तों की मजबूत जोड़ियाँ अब।
दोस्तों, अब तो बस मतलब की सब यारी हैं।।
दबा कर बैठा है वो अपनी तिजोरी में खूब माल पानी।
और मुझसे पूछता है क्या तेरी जेब में पड़ी कुछ रेजगारी है।।
पहले वो मेरे यहाँ आए और तब मैं उसके यहाँ जाऊँ।
आज की दुनिया की बस यही तो दुनियादारी है।।
©डॉ. मनोज कुमार “मन”