राजभाषा हिंदी अपनी सब हिंदी में बोलो जी।
राष्ट्रभाषा शीघ्र बनेगी जय हिंदी की बोलो जी।
बेटी है संस्कृत की हिंदी सभी भाषाऐं बहने हैं,
सबका है सम्मान धरा पर भेद दिलों के खोलो जी।
मां की बिंदी जैसी हिंदी सुंदर सरल सुहानी है,
वैज्ञानिकता खरी कसौटी चाहे जैसे तौलो जी।
हिंदुस्तान नाम हिंदी से भाषाओं के फूल खिले,
वर्ण वर्ण के इस गुलशन में खुशबू हिंदी घोलो जी।
सप्तराग का राज छुपा है अक्षर अक्षर हिंदी में,
नृत्यांगना सा भाव प्रदर्शित नित्य प्रेम से डोलो जी।
नेता हो चाहे अभिनेता सबको हिंदी भाती है,
आपस के सब बैर भुलाकर मैला तन का धौलो जी।
सहज सुकोमल संग सुहाती चाहे गद्य पद्य लिखो,
वेदव्यास सूर और तुलसी सब के संगी हो लो जी।
हेमलता राजेंद्र शर्मा मनस्विनी,साईंखेड़ा नरसिंहपुर मध्यप्रदेश