जलाओ री सखी मंगलदीप,
आज घर आये हैं राजा राम।
राह बुहारो ये महल सजाओ ,
आयो शुभ घड़ी ये वर्षों बाद।
फूलों का वन्दनवार लगाओ,
आये हैं जग के ही तारनहार।
जलाओ री सखी मंगलदीप——-।
शुभ ये घड़ी शुभ गीत सुनाओ,
मिलजुलकर सब नाचो गाओ।
सदियों से इन्तजार था इसका,
आयो शुभ दिन है वह आयो।
पांव पखारो जी आरती गावो,
झूमि उठे सकल संसार सखी।
जलाओ री सखी मंगलदीप———-।
सब को तारनहारे रघुवर के,
चरणों में अर्पित पुष्पांजलि।
हनुमानबली संग में हैं उनके,
सहित सकल परिवार सखी।
हर्षित सिय लखन भये आतुर,
अब बीता है दूजा ये वनवास।
जलाओ री सखी मंगलदीप———–।
पांच सदियों का निष्कासन,
खतम हुआ है आकर आज ।
बाइस जनवरी दिन बहु पावन,
है यादगार बना ऐतिहासिक।
शुभ मंगल चहुं ओर है छाया,
खुशियों से सजा आज संसार।
जलाओ री सखी मंगलदीप———-।
डॉ सरला सिंह “स्निग्धा”
दिल्ली