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सच्ची तस्वीर

अपने सपनों का इक महल बनाया है मैंने।

उसको ख्यालों के फूलों से सजाया है मैंने।।

कागज की कश्ती, बारिश का पानी, सब पुरानी बातें हैं।

डिजिटल  दुनिया के साथ अपना कदम बढ़ाया है मैंने।।

इस शोर मचाती दुनिया में खूबसूरत खामोशी को अपनाया है मैंने।

जब-तब संगीत सुना है सागर की लहरों से खूब चैन पाया है मैंने।।

किनारे से उस चंचल नदी को आवाज खूब लगाई है मैंने।

और हर अंतर मन की पीड़ा, उसको खूब सुनाई है मैंने।।

शोर मचाती चिड़ियाओं को कईं कथा सुनाई हैं मैंने।

और आईने  के भरोसे सच्ची तस्वीर दिखाई है मैंने।।

©डॉ. मनोज कुमार “मन”

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