Latest Updates

कुछ तो हाथ बंटाओ यार.

  (जल जनजागृति हेतु)

होता नहीं खेत में पैदा

और न कर सकते तैय्यार ।

पानी की है विकट समस्या

जिससे जूझ रहा संसार ।।

सोच समझकर करो विचार

कुछ तो हाथ बंटाओ यार ।

वक्त से पहले नहीं किया तो

होगा सबका बंटाधार ।।

योग्य नियोजन करना होगा

पानी हमें बचाना होगा ।

आने वाली नई पीढ़ी को

नया मार्ग दिखलाना होगा ।।

करो ऑंकलन वर्षा जल का

और अपनी आवश्यकता का ।

कम ज्यादा पानी है कितना

इसका पता लगाना होगा ।।

कितना पानी गिरता है

कितना पानी बह जाता है ।

कितना पानी उड़ जाता है

कितना पानी रह जाता है ।।

जो पानी रह जाता है

उससे ही काम चलाना है ।

पीने खेती और उद्योग का

पानी इसी से पाना है ।।

बहता पानी रोक रोक

धरती में इसे रिसाना है ।

बंजर होती इस धरती को

फिर से स्वर्ग बनाना है ।।

जंगल काट काट कर हमने

धरती को वीरान किया ।

रहता था जिस जगह पर पानी

उसको रेगिस्तान किया ।।

वृक्ष लगाओ वृक्ष जगाओ

जंगल इस धरती पर बढ़ाओ ।

पर्यावरण संतुलित करके

अपने देश की शान बढ़ाओ ।।

इस दुनियां में देश हमारा

सबसे प्यारा सबसे न्यारा ।

ऐसा कुछ करके दिखलाओ

एक नया इतिहास रचाओ ।।

होगी न पानी की समस्या

न ही प्रदूषण का खतरा ।

योग्य नियोजन करके अपना

प्यारा देश महान बनाओ ।।

           ×××××

                  —संजय कुमार पांडे

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *