शब्द आज मौन है
हाहाकार करती धरा, चीत्कार करने लगा है गगन कैसे करूँ नमन उनको, जो कर गए न्योछवर तन अद्भुद सा संयोग है, क्या विचित्र सा योग है खुद को पीड़ित कहते है, पर औरो को पीड़ा देते है पीड़ित हो शोषित हो तो मेहनत को हथियार बना लो किसने तुमको रोका है, अपना जीवन आप बना…