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गुरुर ब्रहमा गुरुर विष्णु

जहाँ सिर श्रृद्धा से झुक जाते है अपने शिक्षक सभी याद आते हैं माँ मेरी प्रथम शिक्षिका है मेरी जीवन की वही रचियेता है पिता से धेर्य सीखा और सीखी स्थिरता चुपचाप जिम्मेदारी वहन करना और मधुरता दादी दादा नानी नाना से सीखा मिलजुल रहना प्यार बाटना पडता जीवन में हर हाल में पाठ सिखाया…

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“स्वर्ग का द्वार”

स्कूल कई महीनों से बंद थे। बच्चे घर में रह कर परेशान हो गए थे। यही कारण था कि घर में दिन भर कोहराम मचा रहता। दिन भर चीखना चिल्लाना, मारना पीटना, रोना धोना बस यही हो रहा था। गांव से दादाजी आए तो उन्हें यह सब देखकर बहुत दुख हुआ। उन्होंने बच्चों को बुलाकर…

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हृदय परिवर्तन

“अच्छा माँ, मैं चलता हूं ऑफिस को लेट हो रहा है। शाम को थोड़ा लेट आऊंगा आप और पापा टाइम से डिनर कर लेना।” अंकित ने ऑफिस का बैग हाथ में पकड़ते हुए कहा।          “ठीक है बेटा, घर आते टाइम कुछ सामान भी लेते आना। समान के लिस्ट की पर्ची तुम्हारे बैग में रख…

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राष्ट्रीय एकता दिवस

सरदार वल्लभ भाई पटेल को भारत के लोह पुरुष के नाम से जाना जाते हैं ।सरदार वल्लभ भाई पटेल जी भारत के पहले उपराष्ट्रपति और गृहमंत्री थे। उन्हीं के जन्मदिवस  के उपलक्ष में प्रत्येक वर्ष 31 अक्टूबर को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाया जाता है।  भारत को राष्ट्र बनाने में सरदार जी की…

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लोक आस्था का महा पर्व-छठ व्रत

             लाल बिहारी लाल         छठ मईया की महिमा,जाने सकल जहान। “लाल पावे” जे  पूजे, सदा करी कल्याण।।                                         (लाल बिहारी लाल) सृष्टी की देवी प्रकृति नें खुद को 6 बागों में बांट रखा है। इनके छठे अंश को मातृदेवी के रुप में पूजा जाता है। ये ब्रम्हा की मानस पुत्री हैं। छठ व्रत यानी इनकी…

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उम्मीद: नन्हे दीपों के उजियारे से

                                                                                                             कुशलेन्द्र श्रीवास्तव तिमिर के नाश का पर्व दीपोत्सव द्वार पर दस्तक दे रहा है । हमें अमावश्या की गहन काली रात को नन्हें दीपों का उजियारा कर प्रकाशवान करना है । प्रकाश ही तो हमारे पथ को आलौकिक करता है । पर अंधियारा इतना फेल चुका है कि नन्हे-नन्हे दीपों का प्रकाश हमारा मार्ग…

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अनशन

   “कमली खाना खा ले बेटा ,जिद नहीं करते । देख ले खाना नहीं खायेगी तो कमजोर हो जायेगी।”  “ठीक है माँ मैं खाना खा लूँगी पर तू भी मेरा एडमिशन करा दे ।”  “नहीं बेटा तेरे पिताजी नहीं मान रहे हैं , कोई अच्छा रिश्ता मिल रहा है ,वे उसे छोड़ना नहीं चाहते हैं…

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बाज़ार

अंजू और नीना हफ़्ते भर का सामान लेने बाजार में चक्कर लगा रही हैं । दोनों पुरानी सहेलियां हैं इस लिए एक बेफ़िक्री सी दोनों पर छाई हुई है । बेफ़िक्री और संग – संग मौज मज़ा भले हो मगर सौदा लेने में दोनों की ओर से अभ्यस्त सतर्कता बरती जा रही है । अभी…

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अभिव्यक्ति साहित्यिक संस्था स्व. हरविंदर सिंह लबाना जी की स्मृति में कवि सम्मेलन का आयोजन

४ अक्टूबर २९२१, को “अभिव्यक्ति साहित्यिक संस्था” दिल्ली के तत्वावधान में समूह की राष्ट्रीय अध्यक्षा आ० Madhu Madhubala Labana जी द्वारा, स्व. हरविंदर सिंह लबाना जी की स्मृति में और आ० राकेश शम्स (एटा) जी की अध्यक्षता में कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। इसमें “आदित्य साहित्य साधना संस्था” के संस्थापक, प्रसिद्ध कवि और व्यंग्यकार…

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