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‘योग और अध्यात्म”‘

‘योग और अध्यात्म”‘ ________ क्या देता संसार है हमको लोभ बताता है कीमत स्वयं की क्या है हमको योग बताता। सांसारिक दुखों से ना अस्तित्व बिगड़ता है बेशकीमती कितने तुम अध्यात्म बताता है। क्यों शालीनता है शब्दों में योग बताता है क्यों सभ्य भिखारी जितना राजा योग बताता है। क्यों  शिष्टाचार है उत्तर में अध्यात्म…

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आपकी हो कृपा तो तृप्ति मिले

आपकी हो कृपा तो तृप्ति मिले शरण में आया है ये प्यासा मन चिर प्रतीक्षा पूर्ण नहीं हो रही मन चाहता नहीं दूसरा कोई धन अनवरत साधना का पथ यूँ दिखे जैसे मृग ढूँढें कस्तूरी को वन वन आपकी वो कृपा आज मुझको मिले जिसको खोजे दुनिया का हर जन सार हीन जीवन ये भी…

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योग पर दोहे

योग जगत का सार है,सदगुण लिए हजार। इसकी महिमा  से सदा,सुख पावत संसार।। योग  सनातन   है  महा ,दूर  करे  सब रोग। जिससे पाते सुख सदा,जीवनमें सब लोग।। योग  अंग  जागृत  करी , लाता  रंग भरपूर। चमके  तेज  ललाट पर,मिले खुशी का नूर।। जीवन की हर जीत में ,योग  निराला जान। स्वस्थ निरोग जीवन में ,है…

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“एहसास चाँद के” काव्यसंग्रह  की समीक्षा

समीक्षक:- कमल कांत शर्माएहसासों  को जीवन की सफलता के मामले में  एक बड़ा मानक माना गया है, और जब अपनें दूर जाकर रहने लगते है तो इन एहसासों को सहेजने, संभालने की और भी ज्यादा  आवश्यकता  महसूस की जाती है।  मधुर रिश्तों के लिए सबसे जरूरी होता है, आपसी सामंजस्य और समर्पण का भाव, और जब…

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जीवन गरम चाय की प्याली

पुस्तक समीक्षा : कविता मल्होत्रा ये गर्म चाय की प्याली नहीं बल्कि जीवन को सार्थक दृष्टिकोण देती वो खुशहाली है, जिसके अमृत पान से समूचे ब्रह्मांड में जागृति रूपांतरित हो सकती है। समीक्षा तो नहीं हो पाएगी मुझसे इस अनाहद नाद की कोशिश ज़रूर रहेगी,जागृति संग रहे आपके हर अल्फ़ाज़ की  कई दिन से इस अनूठे…

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चिंता का सबब बनता गिरता हुआ रुपया 

-सत्यवान ‘सौरभ’ रुपये के मूल्यह्रास का मतलब है कि डॉलर के मुकाबले रुपया कम मूल्यवान हो गया है। अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया 77.44 के सर्वकालिक निचले स्तर पर आ गया। सख्त वैश्विक मौद्रिक नीति, अमेरिकी डॉलर की मजबूती और जोखिम से बचने, और उच्च चालू खाता घाटे से भारतीय रुपये के लिए गिरावट…

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सम्मान की धज्जियां उड़ाता लूटतंत्र !

खुला समाज कभी खुला नही होता, रैपर में बंद होता है। पैक्डनेस ही ओपन सोसाइटी है , अपनी पॉलिटिक्स है अपना रहन सहन है ।ओपन सोसाइटी में अभिव्यक्ति का खुलापन किसी मुखौटे को लगा कर ही पाया जाता है ताजा उदाहरण विधानसभा में अखिलेश यादव जी है । मुखौटा लगाने और उसे ही वास्तविक चरित्र…

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जन भागिदारी के बिना पर्यावरण संरक्षण असंभव  है

विश्व पर्यावरण दिवस पर विशेष (5 जून,) जन भागिदारी के बिना पर्यावरण संरक्षण असंभव  है लाल बिहारी लाल नई दिल्ली । जब इस श्रृष्टि का  निर्माण हुआ तो इसे संचालित करने के लिए जीवों एवं निर्जीवों का एक सामंजस्य  स्थापित करने के लिए जीवों एवं निर्जीवों के बीच एक परस्पर संबंध का रुप प्रकृति ने…

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तू चल मैं आया ! : कुशलेन्द्र श्रीवास्तव

राजनीतिक सफरनामा                                                                          चलो कपिल सिब्बल भी चल दिए दूसरे घर की ओर उन्हें राज्यसभा मेें जो जाना था । कुर्सी चाहिए जहां मिल जाए । नेता तो रमता जोगी बहता पानी जैसा होता है । आज यहां कल कहां उसे खुद ही नहीं मालूम होता । कुर्सी चाहिए, वे बगैर कुर्सी के नहीं रह सकते…

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