
दर्द घुटनों में पाया गया
अरुण शर्मा साहिबाबादी। ग़ज़ल…….. दर्द घुटनों में पाया गया,फिर भी रिक्शा चलाया गया। मैं फ़क़त रिक्शे वाला रहा,नाम से कब बुलाया गया। मेरा रिक्शा पलटते बचा,जब ये पुल पर चढ़ाया गया। काम रिक्शे का मेहनत का था,फिर भी छोटा बताया गया। आज रिक्शा फंसा जाम में,आज कुछ ना कमाया गया। एक गमछा था मुझ पर…