एक सम्प्रदाय चौदह सौ वर्ष में अठावन देशों में दूसरा दो हजार वर्षो में पिचासी देशों में फेल हो गया लेकिन सत्य,अहिंसा,वसुधैव कुटुम्ब कम,सर्वधर्म समभाव,नारी तू नारायणी और सबका साथ सबका विकास की बात करने वाला सनातन जो असल धर्म है फैलने की बात तो दूर दुनिया नहीं तो कम से कम भारत के ही नौ राज्यों से गायब हो गया,धर्म निरपेक्ष नहीं धर्मप्रेमी बनिए, धर्म सुरक्षित रहेगा तभी आप सुरक्षित रहेंगे,वो शिव मंदिर कई सौ वर्ष पुराना था उसके चारो ओर सभ्यता बसी थी,वो स्थानीय ही नहीं दूर दूर तक के लोगों की आस्था और विश्वास का प्रतीक था उस मशीन ने सिर्फ लिंगम को नहीं रेता है बल्कि उसने उन सबकी आस्था और जो इसमें प्रत्यक्ष या गुप्त रूप से सम्मिलित हैं आने वाली पीढ़ियों को ही रेत दिया है,लिंग तो हम पार्थिव भी बना लेंगे पर इसका प्रति कार जरूर होगा ? दुश्मन की तड़पड़ाहट बता रही है लड़ाई जमीनी होने वाली है कब शुरू हो जाये इसकी कोई तारीख नही क्योंकि इतिहास के साथ खिलवाड़ हुआ । समय आ चुका है हमे अपनी लड़ाई खुद लड़ना पड़ेगा हमारे पास कोई विकल्प ही नही बचा,”कायर मन कहूं एक अघारा,देव देव तुलसी पुकारा” इस अवतारवाद से मुक्त होना ही होगा ये लड़ाई हमारी है हमे खुद ही लड़नी लड़ेगी ! अद्यतन इतिहास देखिए , टीपू को सुल्तान कहना सबसे बड़ा मजाक है – कारण बड़ा सिंपल सा है। टीपू पैदा हुआ 1751 में और उसके अब्बा हैदर अली ने मैसूर का राज्य हड़पा 1761 में। तो जब टीपू पैदा हुआ था तो हैदर मैसूर के वोडेयार राजा के हिया एक मामूली सिपहसालार था। पैदा होने पर नाम रखा टीपू सुल्तान। हमाये गांव में भी एक दिहाड़ी के मजदूर हैंगे – मिया अकबर। अपने बड़े लड़के का नाम सिपटट्रर रखा है और दुसरे का दरोगा । तो इसी प्रकार हैदर अली ने भी अपनी दूसरी बेगम से पैदा लड़के का नाम टीपू सुल्तान रखा। टीपू का अब्बा हैदर अली किस प्रकार मैसूर का सुल्तान / नवाब बना – ये दिलचस्प है। हैदर का अब्बा मतलब टीपू का दादा फ़तेह मुहमद कर्नाटक के नवाब की फ़ौज में राकेट वाला सिपाही था – ये वाला राकेट केवल रौशनी से सिग्नल भेजने के काम आता था। तो टीपू के पुश्तैनी धंधे में से था ये रौशनी वाला राकेट। गौर तलब है – युद्ध में रॉकेट का प्रयोग चीन में चौदहवी शताब्दी से चल रहा था। हैदर अली का बड़ा भाई भी किराये का सिपाही था और हैदर अली एक पैदल सिपाही था अपनी भाई के अंडर। हैदर अली अपने अब्बा की तीसरी बेगम की पांचवी औलाद था।जब हैदराबाद वाले निज़ाम की गद्दी की लड़ाई हुई मामा भांजा में तो हैदर अली और उसका भाई इस लड़ाई में सम्मलित थे। मौका मिलते ही हैदर ने लूटे हुए ख़ज़ाने में सेंध मारी और बड़ा हिस्सा लेके रफू चक्कर हो लिया। ये था टीपू का दूसरा पुश्तैनी धंधा – लूट मार। हैदर अली ने मैसूर के वोडेयार राजा के मंत्रियो की बीच की लड़ाई का फायदा उठाया और धीरे धीरे इस लूट मार की दौलत से किराये के सिपाही इक्कठे कर मैसूर की गद्दी हथिया ली।तो जनाब – टीपू ना सुल्तान थे – ना राकेट के आविष्कारक। हैदर और टीपू ने लाख चाहा – हैदराबाद के निज़ाम के खानदान से एक ख़वातीन उनके खानदान में ब्याह जाए लेकिन निज़ाम ने लहू की शुद्धता देखते हुए साफ़ इंकार कर दिया। ये भी एक इतिहास का मजाक है जिसने बहादुर शाह ज़फर और टीपू सुल्तान जैसो को स्वतंत्रता सेनानी का दर्जा दिलवा दिया। मोदी को समझने के लिए मोदी बनना पड़ेगा ।जब लोग कहते हैं की मोदी देश को बेवकूफ बना रहा है ।जब लोग कहते हैं की मोदी तो अडानी, अम्बानी, और टाटा बिडला का एजेंट है । तब मुझे दारू, पेट्रोल, मुर्गी से लदी उस पलटी गाड़ी की याद आ जाती है .. जिसके पलटने पर लोग ड्राइवर की जिंदगी बचाने नही आते, अपितु समान लूटने लगते हैं, मोदी ने उसी भारत जैसे देश को महान बनाने की चुनौती स्वीकार की है? उस देश को जो स्वघोषित रूप से महान है, जिस देश में ट्रेन या बस दुर्घटनाओं के बाद सबसे पहले घायल और मृतकों के गहने तक लूट लिए जाते हों। जिस देश में आयल टैंक पलट जाने पर ड्राइवर की जान बचाने के बजाये लोग पेट्रोल लूटना ज्यादा पसंद करते हों।जिस देश में एक बोतल दारु के लिए लोग अपना वोट बेच देते हों। जिस देश में ईमानदारों को मूर्ख घोषित कर दिया जाता हो। जिस देश में लोगों को ये भी समझाना पड़े कि हगने के लिए पैखाने जाना चाहिए और उपरांत हाथ साबुन से धोना चाहिए। जिस देश में सुविधा को अधिकार समझ लिया जाता हो। जिस देश में ट्रेन से लेकर प्लेन तक और दवाई से लेकर दारु तक के लिए लाइन लगानी पड़े, उस देश को महान बनाने का संकल्प लेने वाला इंसान भी अपने आप में महान है। दुनिया का सबसे आसान काम है दूसरों में दोष निकलना, आप मोदी में भी दोष निकाल सकते हैं। बिलकुल निकालिए मोदी भगवान नहीं है, ना ही वे परमात्मा या पैगंबर हैं। उनसे भी गलती हो सकती है, गलती और गलतफहमी होना स्वाभाविक है, क्योंकि वह भी इंसान हैं, जैसे हम और आप हैं। हो सकता है मोदी नाटकबाज हों, हो सकता है मोदी जातिवादी हों, हो सकता है धार्मिक द्वेष फैला रहे हों, हो सकता है मोदी अमीरों को फायदा भी पंहुचा रहे हों, हो सकता है मोदी अमेरिका और पाकिस्तान के दबाव में हों। आप कुछ भी कह सकते हैं मोदी को। आखिर वो हैं ही क्या? एक प्रधान मंत्री ही तो हैं जो मात्र 5 साल के लिए ही हैं। सेक्युलर तो मोदी को गाली भी देते हैं। केजरीवाल तो चोर कहता ही है मोदी को, सोनिया गाँधी मौत का सौदागर कहती है, राहुल गांधी फेकू कहता है। ममता तानाशाह कहती है, लालू ने मोदी को नौटंकीबाज कहा है। कुल मिलाकर मोदी की हैसियत ही क्या है? स्वतंत्र भारत के स्वतंत्र लोकतंत्र में आप भारत के प्रधानमंत्री पद पर बैठे हुए व्यक्ति को माँ बहिन की गाली भी दे सकते हैं ,लेकिन एक चीज है जो आप मोदी से छीन नहीं सकते, क्योंकि ये चीज छीनी भी नहीं जा सकती, ये पैदा करनी पड़ती है, और वह चीज है अपनी धरती माता अपनी भारत माता के प्रति मोदी का अथाह और निश्छल प्रेम। हाँ यही वह चीज है जो आप मोदी से नहीं छीन सकते, आप मोदी से उनकी कुर्सी छीन सकते हैं, लेकिन वो संकल्प वो महान संकल्प नहीं छीन सकते जो उन्होने भारत को महान बनाने के लिए लिया हुआ है! आप मोदी से वह साहस नहीं छीन सकते जो उन्हें प्रधान मंत्री होते हुए भी ये बोलने के लिए प्रेरित करता है कि “हाँ मै एक हिन्दू राष्ट्रवादी हूँ”। आप मोदी से नहीं छीन सकते हैं उनकी बेबाकी, नहीं छीन सकते हैं काम के प्रति उनका उत्साह, नहीं छीन सकते हैं उनके कड़े और महान निर्णय लेने की क्षमता को, आप मोदी से नहीं छीन सकते हैं वो धैर्य जो 10 घंटे सीबीआई की जांच और गहन पूछताछ के दौरान भी वह नहीं टूटे। और अंत में आप मोदी से नहीं छीन सकते है वो 56 इंच का सीना जो उन्हें यानि मोदी को मोदी बनाता है। ऐसा देश जहाँ हर इंसान जन्म से ही भ्रष्टाचार और चोरी के गुण लेकर पैदा होता है। जहाँ दुघर्टना ग्रस्त मुर्गियों से लदे ट्रक को भी लोग लूटने से बाज नहीं आते। ऐसे देश को महान बनाने का संकल्प लेने वाला कोई साधारण व्यक्तित्व का इंसान नहीं हो सकता। मोदी को दिन रात कोसने, गरियाने वालों! मोदी से लड़ना है तो पहले मोदी बनो, लेकिन याद रखना मोदी हमेशा एक ही रहेगा। मुझे पता है कि आज आप मे से कुछ लोग चिढ़ कर मुझे मोदी का अंध भक्त कहेंगे, लेकिन अब इन बातो से मुझे कोई फर्क नही पडता। क्योंकि मै जानता हू कि लोग धक्का उसी को देते है जो उनसे आगे होता है। लोग बुराई भी उसी की करते हैं जो उनसे बेहतर होता है! बात उसी की होती है जिसमे कोई बात होती है।
पंकज कुमार मिश्रा , मीडिया पैनलिस्ट शिक्षक एवं पत्रकार केराकत जौनपुर