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एक दीया और जला देना

बहुत सारे दीया जलाएँ दीवाली में !
घरों, मंदिरों, आँगन और चारदीवारी मे!!
कतारे दीयो की, होगी सैकड़ो, हजार!
रोशनी की होगी जीत और अंधेरों की हार!!
रोशनी से जगमगा उठेगा चहुंओर !
रहेगा न अंधेरा, किसी भी ओर!!
मनाएंगे खुशियाँ सब मिलकर!
दुख,कष्ट ना रहे किसी के उपर!!

सब जगहों मे रोशनी ही फैले!
दूर रहे अंधेरा,हो उजाले ही उजाले !!
लेकिन चुन्नू कवि करते हैं सबो से एक निवेदन!
सुन मेरे समस्त भाई-बहन!!
उस राह मे भी एक दीया जला देना!
जिस राह में छाये हो अंधेरा घना!!
कोई राहगीर ठोकर न खाये उस राह मे!
जो आते जाते हैं सदेव परिवार के परवाह मे!!
मेहनत करके दिनभर में जब!
लौटते है लोग अपने घरों मे तब!!
हो जाता है घना अंधेरा!
ठोकरे खाते है राह में, बिन उजियारा!!
ऐसे राह में एक दीया जलाना!
अवश्य ही,मेरे भाई-बहना !!
ताकि वो मेहनतकश राहगीर!
घर पहुँच सुरक्षित सशरीर!!
और हाँ, एक दिन ही नहीं!
बल्कि हरेक दिन ही सही!!
जला देना एक दीया उस राह पर!
आशीष उस राहगीर का,मिलेगा तुझपर!!
ये बातें अवश्य लो तुम सब मान!
एक दीया जलाकर,राह कर दो प्रकाशमान!!
चुन्नू साहा पाकूड़ झारखण्ड

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