पंकज सीबी मिश्रा, राजनीतिक विश्लेषक एवं पत्रकार जौनपुर यूपी
स्वतंत्रता दिवस हर वर्ष मनाते है और प्रतिवर्ष एक नई स्वतंत्रता खुद के लिए जोड़ लेते है। इस वर्ष भी एक स्वतंत्रता हमने बड़ी सरलता से प्राप्त कर ली और वह है संसद में हंगामा करना और सिटिंग चेयर पर्सन को अपमानित करना। इस प्रकार आपने देखा होगा कि जगदीप धनकड़ साहब को एक सांसद महिला किस प्रकार उद्वेलित और अपमानित कर रहीं थी। यह उनकी अपनी मनमानी स्वतंत्रता ही थी। उनकी बॉडी लैंग्वेज और उनके अहंकार दोनो की समीक्षा होनी चाहिए। वह बहुत ही टेम्परलूज सांसद साबित होंगी । मानसिक अहंकार भी एक प्रकार की आजादी है जो कुछ सांसदों को हो गया है। उनको फ्री के पैसे और मुफ्त के शोहरत का अहंकार है। बिना चुनाव लड़े संसद में पहुंचने वाली कुछ महिलाओं के चेहरे से हमेशा अहंकार टपकता मिलेगा और वह अव्वल दर्जे की कलाकार भी कहती है खुद को । दूसरों को अपमानित करना इनका पेशेवर काम साबित हो रहा। उनके जैसे लोग जनता की सेवा के लिए संसद में नहीं जाते, वे अपने अहंकार के प्रदर्शन और नौटंकी के लिए वहां जाते हैं। देश-दुनिया को अपना गुरूर और अपनी अमीरी दिखाने वहां जाते हैं। देश के उपराष्ट्रपति को संसद में जो भी कहा गया वह शर्मनाक है और जिस तरह से कहा गया वह अमर्यादित था। आप और सपा की महिला नेत्री खुद को मायावती और सोनिया गाँधी से भी बड़ी लीडर समझती है जबकि इन दोनो महिला लीडर के पाँव के धूल बराबर भी अनुभव नहीं । इनके पास अपनी निजी खास कोई सफलता नहीं जो भी है वो पति मेडेड ब्रांड है जबकि इतना खुद से अभिमान नहीं करना चाहिए अभिमान के इस एक्टर को । समाज को क्या मिला उनकी निजी सफलता से ? अपना पेट तो पशु-पक्षी भी भर लेते हैं। अपना घोंसला और अपनी अन्य व्यवस्थाएं तो एक पक्षी भी बना लेता है। उधर संसद में व्यापक स्तर पर हुए तू तू मै मै को देखकर झूरेलाल ने फेसबुक पर ऐसे डिबेट रोकने का निर्णय लिया है। दिल्ली समराज्य के सिंगापुर विधानसभा में नियुक्त शिक्षामंत्री के जेल से बेल मिलते ही उन्हें तत्काल प्रभाव से प्रभावित करते हुए हुए झूरेलाल ने बर्बादीया को फेसबुकिया लोकपाल नियुक्त करने का फैसला लिया जो जया विजया अजया जैसे विभिन्न प्रकार के अहंकारों की जाँच करेगा। एक उच्चकोटि फेसबुकिये के लिए सबसे बड़ा मुद्दा ये है कि 3000 की लिस्ट है और सिर्फ 99 लाइक्स आते हैं वो भी मेज थप थपाकर ! लोकपाल जाँच करेगा कि बाकी के 2901 लोगों ने कहीं यहाँ जनधन योजना के तहत अपना एकाउंट तो नहीं खुलवाया है ! और कही खटाख़ट तो नहीं कर रहें। झूरेलाल और टेकरीवाल से प्रभावित होकर फेसबुक अपने डिबेट पर भी जाँच बिठाएगा। वर्तमान में फेसबुक द्वारा किया जाना वाला सबसे बड़ा भ्रष्टाचार ये है कि खुद सबसे पहले पिपुल यू मे नो में महिला की डरावनी फोटु दिखा के पूछता है- ए लोलु , इसे जानत हो का ? इसको लाईक देकर सांसद बनाओगे और संसद भेजोगे का ? और जब हम यस भेजते हैं तो खुद ही पूछता है, ए लोलु , इसको कब से जानत हो ? फेसबुकिया लोकपाल इसकी भी जाँच करेगा कि एंजेल प्रिया, एंजल जया की शक्ल में कोई अन्य टेकरीवाल और झूरेलाल तो नही है ? एक कमेटी इसलिये भी बनाई जायेगी कि संसद मे राष्ट्रवादी लड़कों को हिन्दू राष्ट्र बनाने और आरक्षण खत्म कराने पर पसीना क्यों आती ? आलूबड़े जैसी शक्ल वाली लोगो की फोटो पर संसद कॉल के दौरान फेसबुक पर लुकिंग बम , सो नीच , सो भूतिया जैसे कमेंट करने का भी अवसर मिलना चाहिए जिससे हम भी आजादी से फूफकार सकें । उधर संसद वाले भूतपूर्व नौजवानों की फेसबुकिया पेंशन तत्काल प्रभाव से बंद कर दी जानी चाहिए। निकम्मे हो चले है कुछ नहीं बोलते अपने जूनियर के अपमान पर। परम्परा पर परम्परा कराने वाले अमिताभ जी को भी संसद मे बिठाना चाहिए फिर उधर से कलाकार महोदया को बुलवाना चाहिए। उधर रील एंड स्टेटस कॉपी-पेस्ट रेकेट और इसके काले धंधे को बंद करने के लिए भी लोकपाल एक दो सदस्यी कमेटी बनाएगा संसद मे ताकि इनकी बोलती बंद की जा सकें । मुँहफट महिलाओं द्वारा मासूम लड़कों को सांसदी चेयर से ऍम नॉट के स्क्रीनशॉट पोस्ट करने पर तत्काल प्रभाव से पाबंदी लगाई जायगी। लोकपाल द्वारा संसद के कट्टर शेर, शेरनी, लकड़बग्घो के लिए ऑनलाइन पिंजरे की व्यवस्था की जायेगी। हँसी मजाक और शेर शायरी करने वाले संसदों की चेयर के बगल मे बेहद सीरियस कमेंट करने वालों को बिठाया जायेगा ताकि उन्हें फेसबुकिया आईसीयू उपलब्ध हो सकें। ऑनलाइन लड़ाई की व्यवस्था बहाल होगी। लड़ने वालो की स्पेशल मांग पर माइक में घुसकर सामने वाले को दो थप्पड़ मारने की व्यवस्था पर भी विचार किया जा रहा। ये सब नौटंकी कलाकार और अंहकार को खत्म करने के लिए झूरेलाल नें सूर्यवंशम और अभिमान देखने के बाद निर्णय लिया। वैसे बता दें कि यह भारतीय संसद का उच्च सदन है और इसके सभापति भारतीय गणराज्य के उपराष्ट्रपति होते हैं। दरअसल, जया जी अपनी कुंठाएं संसद में निकालती हैं। जया जी फ्री में राज्यसभा पहुंच जाती हैं। इसलिए शायद दिमाग में अहंकार भर गया है। खुद को बहुत बड़ी नेता समझने वाले एक बार चुनाव लड़ कर देख लें। अक्ल एकदम ठिकाने आ जाएगी। अंहकारी के साथ एक परम दुर्भाग्य जुड़ा होता है कि उसके अलावा सबको पता होता है कि वह व्यक्ति बहुत अंहकारी है। अहंकार व्यक्ति का पतन करके ही दम लेता है। अहंकार व्यक्ति को मिट्टी में मिला देता है।