माँ शारदे को सादर नमन
बिषय:-बाल मजदूरी
विधा:-काव्य सृजन
तुम्हें गमगीन कर देंगे, गरीबों के ये आशियाने।
थामकर दिल वहाँ जाना, मिलेंगे त्रस्त दीवाने।॥
ना होंगे पात्र भंडारण, अभावों से भरा जीवन।
जरूरतें भी नहीं ज्यादा, ख्वाबों से विमुख मन॥
बडा़ परिवार एक कारण, अशिक्षा से भरा दामन।
व्यस्त रहते भरण पोषण, दीनता इनका आभूषण॥
‘लक्ष्य’ पालनार्थ जीवन, सभी ने कर दिया अर्पण।
अन्य ना स्रोत धनोपार्जन, मजूरी से करें पालन॥
बीमारी घेर ले जब तन, बढ़ें संघर्ष के तब क्षण।
अभावों में घिरें ये जन, विवश मजदूर का जीवन॥
हुआ मजबूर भूखा तन, तो सहारा दे रहा बचपन।
करें मेहनत कमाते धन, अवस्था खेलना अध्ययन॥
उचित आहार ना पोषण, न है परिपक्व उनका तन।
विवशता कर रही शोषण, बने अनजान भी शासन॥
आत्मनिर्भर देश तब सुदृण, बालश्रम जब हो उन्मूलन।
दिखें खुशहाल हर्षित जन, नौनिहालों के उन्नत तन॥
उमाकांत भरद्वाज (सविता) ”लक्ष्य”,
से.नि. पूर्व शाखा प्रबंधक एवं जिला समन्वयक म.प्र.ग्रामीण बैंक, भिंड (म.प्र.)