Latest Updates

फर्क

बाबूजी तो भेदभाव बहुत ही करते हैं। बेटियों के लिए मरे ही जाते हैं। यहाँ सेवा हम करें, बुराई भलाई-फोड़ते हैं बेटियों से। श्यामा प्रसाद जी की बहू का रोज ही शगल था। वह जरा ही अपनी बेटी से फोन पर बात करने क्या लगते हैं बहु को पतंगे लग जाते। पत्नी के गुजर जाने के पश्चात श्यामा जी अपनी बेटी से ही थोड़ा सुख-दुख सांझा कर लेते थे उस पर भी बहू को लगता है कि उसकी बुराई कर रहे हैं।

एक दिन बहू हल्ला काट रही थी बहुत फर्क है बेटा-बेटी में है इस घर में। हमें तो इतने लाड नहीं लड़ायें जाते‌। बेटियों को देखो कितना प्यार करते हैं।

श्यामा प्रसाद जी चुप सुनते रहते हैं और एक दिन उनके सब्र का बांध टूट गया उन्होंने कहा फर्क तो है ही तभी तो सारी जाय़जाद तुम्हारे हिस्से आई है। मेरी बेटियों के हिस्से तो बस मेरा सुख-दुख सांझा करना होता है। प्रसाद जी की इन बातों को सुनकर बहू का मुंह एकदम चुप हो जाता है।

प्राची अग्रवाल

खुर्जा उत्तर प्रदेश

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *