नई दिल्ली। जल संरक्षण के लिए समर्पित मुम्बई की विश्व विख्यात संस्था ‘ड्रॉप डेड फ़ाउंडेशन’ ने फ़िरदौस ख़ान को उनके पानी बचाने के लिए किये जा रहे उत्कृष्ट कार्यों के लिए सम्मानित किया है। संस्था ने उन्हें साल 2023-2024 के बेस्ट वालंटियर अवॉर्ड से नवाज़ा है।
ग़ौरतलब है कि सुप्रसिद्ध साहित्यकार, चित्रकार, कार्टूनिस्ट और पर्यावरणविद आबिद सुरती ने साल 2007 में मुम्बई में ड्रॉप डेड फ़ाउंडेशन की शुरुआत की थी। इसकी टैगलाइन है- सेव एवरी ड्रॉप ऑर ड्रॉप डेड। इसका मक़सद जल संरक्षण को बढ़ावा देना है। इस मुहिम को देश ही नहीं, बल्कि दुनियाभर में सराहा जा रहा है। संयुक्त राष्ट्र भी इसे तवज्जो दे रहा है। संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के पूर्व कार्यकारी निदेशक एरिक सोल्हेम ने भी कई बार इसकी तारीफ़ की है।
मार्च 2008 में फ़िल्म निर्माता शेखर कपूर जल संरक्षण पर फ़िल्म बना रहे थे। उन्होंने अपनी वेबसाइट पर इस मुहिम की ख़ूब तारीफ़ की थी। सुप्रसिद्ध अभिनेता शाहरुख़ ख़ान ने भी इसे सराहा है। सदी के महानायक अमिताभ बच्चन ने भी जल संरक्षण की इस मुहिम की सराहना करते हुए इसकी टीम को मुबारकबाद दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस मुहिम की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए इस पर ‘वाटर वारियर’ नामक फ़िल्म बनवाई है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल भी इससे बहुत मुतासिर हैं। उन्होंने आबिद सुरती साहब को दिल्ली बुलाया और उनके वॉटर मॉडल को अपने राज्य में लागू करने का फ़ैसला किया। देश की राजधानी दिल्ली भी जल संकट से जूझ रही है।
फ़िरदौस ख़ान कहती हैं कि ज़मीन का दो तिहाई हिस्सा पानी से घिरा हुआ है, लेकिन इसमें से पीने लायक़ पानी बहुत कम यानी सिर्फ़ ढाई फ़ीसद है। इस पानी का भी दो तिहाई हिस्सा बर्फ़ के रूप में है। दुनियाभर में जितना पानी है, उसका महज़ 0.08 फ़ीसद हिस्सा ही इंसानों के लिए मुहैया है। इंसानों की ख़ामियों की वजह से ये पानी भी लगातार दूषित होता जा रहा है। कारख़ानों और नालों की गंदगी नदियों के पानी को ज़हरीला बना रही है। पहाड़ों में मुसलसल खनन होने और जंगलों को काटने की वजह से बारिश पर असर पड़ रहा है। जब हम पानी पैदा नहीं कर सकते, तो फिर हमें इसे बर्बाद करने का क्या हक़ है? वे कहती हैं कि जो रब से मुहब्बत करता है, वह उसकी क़ुदरत के ज़र्रे-ज़र्रे से भी मुहब्बत करता है। और जिस चीज़ से मुहब्बत की जाती है, तो उसकी हिफ़ाज़त करना भी लाज़िमी हो जाता है। वैसे भी पानी की हर बूंद अनमोल है। पानी के बिना ज़िन्दगी का तसव्वुर भी नहीं किया जा सकता। हर जानदार चीज़ को पानी की ज़रूरत होती है। इसलिए पानी को फ़िज़ूल न बहायें, क्योंकि इससे कितने ही लोगों के गले तर हो सकते हैं। वे बताती हैं कि हमारे देश की ज़्यादातर आबादी धार्मिक है। इसलिए जल संरक्षण का संदेश देने के लिए विभिन्न धर्मों के पोस्टर बनवाए गये हैं। हर धार्मिक स्थल पर रोज़ाना सैकड़ों से लेकर हज़ारों लोग आते हैं। वे इन संदेशों को बार-बार देखेंगे, तो इस पर विचार करेंगे और पानी बचाने पर ध्यान देंगे। मुम्बई के बाद दिल्ली और उत्तर प्रदेश के धार्मिक स्थलों पर भी जल संरक्षण का संदेश छपे पोस्टर लगाए जा रहे हैं। इस मुहिम को भरपूर जनसमर्थन मिल रहा है। आबिद सुरती साहब चाहते हैं कि ये मुहिम दुनिया के हर कोने तक पहुंचे। वे लोगों से अपील करती हैं कि वे इस मुहिम में बढ़ चढ़कर शिरकत करें, ताकि आने वाली पीढ़ियों को जल संकट से न जूझना पड़े।