हिन्दी हिन्दुस्तान की भाषा
इसकी तो शान निराली है।
होड़ नहीं कर सकता कोई
अमृत की मानों प्याली है।
अजर अमर इसकी रचनाएँ
रामचरित सा ग्रंथ यहाँ है ।
प्रेमचंद की रचनाएँ देखो
प्रियवर हैं वे जहाँ जहाँ हैं।
फिल्में इसकी मोहित करतीं
मिलती सर्वाधिक ताली है।
सबसे विशिष्ट है शब्दकोश
अर्थ अनेकों जहाँ समाहित।
रिश्तों का हर सम्मान यहाँ
शब्द यहाँ पर हैं उनके हित।
हिन्दी हिन्दुस्तान की भाषा
इसकी तो शान निराली है।
संस्कृत की बेटी हिन्दी यह
रत्नों से भरी इसकी झोली।
सूर और तुलसी व जायसी
अनगिनत रंग की है रंगोली।
होड़ नहीं कर सकता कोई
अमृत की मानों प्याली है।
डाॅ सरला सिंह “स्निग्धा”
दिल्ली