सभी की अपनी-अपनी किस्मत होती है, इसमें चिढ़ने की क्या जरूरत है । सत्येन्द्र जैन की किस्मत का ही कमाल है जिस जेल में उन्हें चक्की की रोटयां बनानी चाहिए उस जेल में वे मसाज कराते दिखाई दे रहे हैं । भाजपा वालों को इसमें चिढ़ क्यों हो रही है । अरे वो मंत्री हैं और मंत्री कुछ भी कर सकता है, घोटाला भी और जेल को फाइवस्टाा होटल में परिवर्तित भी कर सकता है, इसके लिए ही तो उन्हें मंत्री मंडल से नहीं निकाला गया । रोज-रोज नए-नए वीडियों निकालकर गोपनीयता भंग कर रहे हैं । बेचारे सत्येन्द्र जैन को और उनकी पार्टी को तो यही भ्रम रहा होगा कि ‘‘जेल में मोर नाचा किसने देखा’’ पर सभी ने देख लिया । एक व्यक्ति मसाज कर रहा है और वे आराम से जरूरी दस्तावेजों का अध्ययन कर रहे हैं । फिर वे ढेर सारा सलाद चेहरे पर चमक लाकर खा रहे हैं और शुद्ध जल का पान कर रहे हैं । कब से कर रहे होगें जब से वे जेल के अंदर गए हैं पर पोल अब खुली वो भी इसलिए खुल गई कि अभी दिल्ली में एमसीडी के चुनाव चल रहे हैं । भाजपा वाले र्धर्य के साथ प्रतीक्षा करते रहे कि जैसे ही चुनाव घोषित हों वे धड़ाधड़ वीडियो निकालकर जारी कर दें । उनके र्धर्य की तो तारफ करनी होगी आम आदमी के पास एक छोटा सा भी वीडियों आ जाता है तो वह न तो आंखों में पचा पाता है और न पेट में पचा पाता है । उनकी पचाने की क्षमता अधिक है तब ही तो वे विश् की सबसे बड़ी पार्टी बन गए हैं । वे अपनी ही पार्टी में जाने कितनी पार्टियों के नेताओं को पचाये हुए हैं । भगवान सभी को ऐसी शक्ति दे । तो भाजपा वालों ने सारे वीडियों को सुरक्षित रख लिया लाकर में नहीं क्योंकि अब लाकर सुरक्षित नहीं रह गए हैं जाने कब किस सरकारी एजेंसी की निगाह पड़ जाए और वे तलाशी लेने लगे । वेसे भाजपा को यह सुविधा तो है कि दूर से चमकने वाला उनकी निशान इतनी चकाचैध पैदा कर देता है कि कोई उस ओर झांक भी नहीं पाता । आप पार्टी वालों की किस्मत इतनी अच्छी नहीं है, बेचारो को सत्ता भी मिली तो उस राज्य की जिसकी पुलिस तक पर उनका अधिकार नहीं है और बाकी जो बच जाता है वह उपराज्यपाल के अधिकारों में शामिल मान लिया जाता है । कई बार तो भ्रम भी हो जाता है कि दिल्ली में सत्ता पर बैठा कौन है ? राज्यपाल की आम आदमी पार्टी । एमसीडी चुनाव के लिए लम्बे समय से लार टपका रही आप पार्टी के सामने दोहर मुसीबत खड़ी हो गई एक तो एमसीडी के चुनाव भी तब ही कराये जा रहे हैं जब गुजरात विधानसभा के चुनाव हो रहे हैं । उन्हें तो लग रहा था कि चलो अभी तो अपन गजरात में ‘रेवड़ी-रेवड़ी’ खेल लेते हैं फिर वहां से फुरसत होकर दिल्ली में कंचा खेल लेगें पर उनकी सोच से उलट सब हो गया । एक साथ दोनों जगह चुनाव घोषित हो गए । आप पार्टी के पास इतने नेता तो हैं नहं कि वे दोनों जगह हाथ-पैर मार सकें । ले देकर एक केजरीवाली ही हैं जो चेहरे पर उदासी के स्थाई भाव लिए कभी दिल्ली तो कभ्ी गुजरात में घूमफिर कर पार्टी के लिए वोट मांग रहे हैं । इस भागदौड़ में बेचारों की खांसी फिर से चालू न हो जाए बड़ी मुश्किल से तो वह ठीक हुई है । तो एक तो दो राज्यो के चुनाव और ऊपर से वीडियो वाला खेल । ‘‘निगलत उगलत पीर घनेरी’’ वीडियों ने तहलका मचाया हुआ है और पार्टी वाले सफाइ देते-देते परेशन है बेचारे कोर्ट भी गए ‘‘हुजूर इन वीडियो पर रोक लगा दो’’ पर नहीं लग पाई । वैसे तो जेल विभाग दिल्ली की सत्ता के अतंर्गत ही आता है और मनीष सिसोदिया उसके मंत्री भी हैं पर दिल्ली मंे मंत्रियों की चल ही कहां रही है । जेल से सीसीटीव्ही कैमरे की रिकार्डिग लीक हो रही है और भाजपा मजे ले रही है । कुछ प्रवक्ताओं को तो भाजपा ने केवल इसी काम के लिए लगा रखा है, वीडियो लाओ और प्रेसवार्ता कर उनका विश्लेषण करो । विश्लेषण करने का मतलब होता है कि जो बातें उसमें नहीं हैं वे भी जोड़ दो । जैसे सब्जी बनाते समय मिर्च मसाला डाला जाता है न ठीक वैसे ही । बेचारे आप पार्टी वाले दिनभर विश्लेषण का विश्लेषण कर माथा पीटते रहते हैं । विश्व की सबसे बड़ी पार्टी से निपटना इतना आसान होता तो वह इतनी बड़ी पार्टी होने का तमगा हासिल कैसे करती है । हर कोई बड़ा ऐसे ही होता है । आप पार्टी तो अभी बाल्य अवस्था में ही है, कांग्रेस जैसी बुजुर्ग पार्टी अपना सर पीट कर कोने में बैठ चुकी है । इसे ही राजनीति कहा जाता हे जो जितने अच्छे से अपने मोहरों को चलता है वह ही ‘शह’ देने की स्थिति में आता है । इधर आप पार्टी को लग रहा था कि कोने में उदास बैठी कांग्रेस का विकल्प बन जायेगी पर अब समझ में आ रहा है कि कहा ओखली में मूड़ दे दी । दिल्ली के एमसीडी चुनाव में कांग्रेस तो गायब है पर गुजरात में वह मेहनत कर रही है । कुछ लोग तो इसलिए भी मेहनत करते रहते हैं कि आखिर वे ऐसा न करें तो और करें भी क्या ? कांग्रेस ने गुजरात में अपनी बचीखुची ताकत झोंक दी और आप पार्टी सत्ता का इन्द्रधनुष बनाकर मेहनत करने लगी । अरविन्द केजरीवाल भविष्य वक्ता बन गए और उन्होने एक बार यह घोषणा की कि कांग्रेस को गुजरात में केवल चार-पांच सीटें ही मिलने वाली हैं और दूसरी भविष्यवाणी में बता दिया कि गुजरात में आप पार्टी की सरकार बनने वाली है । उन्होने तो आप पार्टी के मुख्यमंत्री का नाम तक घोषित कर रखा है । अरविन्द केजरीवाल ने ऐसी ही भविष्यवाणी पंजाब में की थी और किस्मत से उन्हें भविष्यवाणी सही भी निकल गई तो अब उन्हें लगने लगा है कि वे भविष्यवक्ता बन चुके हें । कल को यदि वे सत्ता में न रहें तो उनकी यह दुकान तो चलेगी ही न । आप पार्टी के अस्तित्व को सर्वे करने वली टीमें नकार भी नहीं रही हैं परंतु इतना भी स्वीकार नहीं कर रही हैं कि वहां आप पार्टी सत्ता में आ ही जायेगी यदि ऐसा होता है तो यह बड़ा उलटफेर होगा । गुजरात में चुनावों का घमासान मचा है । चुनाव अब दंगल में बदल चुके हें । पहलवानों की तरह नेता हंुकार भरते हैं और आखिरी परिणम आने तक सत्ता पर काबजि हो जाने का दम भरते हैं । भाजपा ने भी पूरी ताकत झौंक दी है । प्रधानमंत्री जी तो दिल्ली से गुजरात के लिए अपडाउन जैसा कर रहे हैं । वे गुजराती में भाषण देकर अपनी आत्मीयता प्रकट कर रहे हैं । ढेर सारे कबिनेट मंत्री अपना डेरा वहीं डाले हुए हैं अनेक राज्यों के मंत्री मोहल्ले के हिसाब के ड्यूटी दे रहे हैं और मुख्यमंत्री नुक्कड़ सभाएं कर रहे हैं याने भाजपा ने अपनी पूरी दमखम लगा रखी है । वैसे भी से गुजरात में शासन करते हुए लम्बा समय हो चुका है वह इस समय को और लम्बा करना चाहती है । भाजपा की अच्छी बात यह है कि वह हर चुनाव को गंभीरता से लड़ती है औपचारिकता से हीं इसलिए उसे फायदा भी होता है । परंतु उन्हें पश्चिम बंगाल में इसका फायदा नहीं मिला वहां भी मंत्रियों से लेकर मुंख्यमंत्रियों की बड़ी टीम काम कर रही थी पर वे सफल नहीं हो पाए । गुजरात में उनका यह चुनाव पबंधन कितना सफल होगा यह 78 दिसम्बर को पता चल ही तजायेगा । हिमाचल पदेश में भी उन्होने ऐसे ही मजबूती और गंभीरता के साथ चुनाव लड़ा था, उसके परिणाम भी 8 दिसम्बर को ही आने वाले हैं । यहां से निपटेगें तो वे मध्यप्रदेश राजस्थान सहित अन्य राज्यों में डेरा जमा लेगें जहां आगामी वर्षो में चुनाव होने हैं । उनकी व्यस्ताऐं चलती रहती हैं । इधर चुनाव चल रहे हैं और इधर राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा भी चल रही है । राहुल गंधी ने चुनावों से मुहं मोड़ लिया है वे केवल यात्रा पर ध्यान दे रहे हैं । उनकी इस यात्रा में जुटने वाली भीड़ ने कांग्रेसियों के हौसलों को बुलंद कर दिया है । जब से राहुल गांधी ने अपनी यात्रा प्रारंभ की है तब से उनकी यात्रा में भीड़ दिखाई दे रही है । राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा महाराष्ट्र से निकलकर अभी मध्यप्रदेश में है । मध्यप्रदेश में भाजपा की सरकार है । भाजपा की यह सरकार कांग्रेस के विधायकों को भाजपा में शामिल हो जाने के बाद अस्तित्व में आई । राहुल गांधी के भाषणों में इस बात की टीस दिखाई दे रही है । मध्यप्रदेश में भी अगले वर्ष चुनाव होने वाले हैं । कमलनाथ कांग्रेस के सीनियर नेता हैं और वे पूरी तल्लीनता के साथ और सूझबूझ के साथ विधानसभा चुनाव की तैयारी कर भी रहे हैं । राहुल गांधी की यात्रा पूरे मध्यप्रदेश में तो नहीं जा पायेगी परंतु जितने भी विधानसभा क्षेत्रों में जायेगी उसमें इस यात्रा का लाभ कांग्रेस को मिलना चाहिए इस भवाना के साथ कमलनाथ ने यात्रा की तैयारी भी की है । वैसे भी राहुलं गांधी के प्रति आम लोगों में आकर्षण तो है ही उनकी सहजता उनके आकर्षण को और बढ़ा रही है इससे यदि कांगेस लाभ की उम्मीद कर रही है तो वह गलत है भी नहीं । राहुल गंधी भी बेतरतीब ढंग से यात्रा में लगे हुए हैं । उनकी सहजता और शालीनता सभी को पसंद आ रही है । यह यात्रा निश्चित रूप से उन्हें नई ऊंचाईयां देने वाली है । मध्यप्रदेश के बाद वे राजस्थान जायेगें वहां भी अगले वर्ष चुनाव होना है और वहां अभी कांग्रेस की ही सरकार है । इस सरकार में द्वन्द्व मचा हुआ है । दो नेता अपनी-अपनी क्षमताओं का प्रदेर्शन करने मंे लगे हुए हैं । राहुल गांधी की यात्रा में यह शक्ति प्रदर्शन भी सामने आयेगा ही अब राहुल गांधी कैसे इससे निपटते हें यह देखना होगा । कुछ लोग होते हैं जो क्रूरता के शिकार हो जाते हैं । दिल्ली के गलियों में बने घरों में रखे फ्रिज अब लाश दबाने के काम आ रहे हैं । फ्रिज का ऐसा उपयोग पहलीबार हम लोगों ने देखा है । हम तो फ्रिज में सब्जियां रखते हैं परतं कतिपय लोग फ्रिज में मान अंग रख रहे हैं । श्रद्धा हत्याकांड जब सामने आया तो सारे देश में हलचल मच गई । लोग क्रूरता की ऐसी घटनाओं को साक्षी कभी नहीं बनना चाहेगें । लोगों ने राजनीति भी की और हत्या करने वाले शख्स के खिलाफ आक्रोश भी व्यक्त किया । करना ही चाहिए हमारा समाज ऐसी घटनाओं को कभी स्वीकार नही कर सकता । श्रद्धा जैसी लड़कियां ऐसे लोगों के झांसे में जाने कैसे आ जाती है । श्रद्धा हत्याकांड की सभी को निंदा करनी चाहिए कोइ्र कैसे इस पर प्रश्न उठा सकता है आश्चर्य की बात है । दिल्ली के एक इलाके मंे जून में हड्डियां निकल रहीं थीं ऐसा लग रहा था कि यह जमीन हड्डियों की पैदावार कर रही है पर अब जाकर पता चला कि कोई है जिसने किसी की हत्या कर उसे फ्रिज में रख दिया था और प्रतिदिन उस फ्रिज मंे से निकालकर हड्डियां यहां फेंक रहा था । यह भी जघन्य हत्यांकाड है । फ्रिज के ऐसे उपयोग ने कई प्रश्न खड़े कर दिए हैं । अब फ्रिज बिक्री पर तो रोक लगाई नहीं जा सकती परंतु ऐसे घटनाक्रमों पर कठोर कार्यवाही की जानी चाहिए ।