उमाकांत भारद्वाज (सविता) ‘लक्ष्य’ भूतपूर्व शाखा प्रबंधक एवं जिला समन्वयक-म.प्र. ग्रामीण बैंक, भिंड (म.प्र.)
1- रक्षाबंधन पर्व महान, श्रावण पूर्णिमा हिंद की शान!
आबाल वृद्ध मिल सभी मनाते, करते बहिनों का सम्मान॥
2- नन्ही बहिना इंतजार में, बांधू राखी भाई प्यार में!
अमर रहे भाई दुनियाँ में, छोडे़ ना मंझधार में॥
3- रखती व्रत बहिना पूरे दिन, आन बान और शान में!
करे आरती तिलक लगाती, वह भाई के मान में ॥
4- मीठा मुंह कर बांधे राखी, भाई को अरमान से!
हाथ दाहिना रक्षक रखना, मांगे वर भगवान से॥
5- नेग दान संग चरण छुए, तब भाई हुआ निहाल है!
हरी भुजरियां देकर मिलना, सदा रखे खुशहाल है॥
6- पूड़ी कचौड़ी और सिवइयां, रुचिकर भोजन बनते है!
बहिन बुआ दादी और माँ संग, सभी प्रेम से खाते हैं॥
7- दुर्लभ है संयोग पर्व पर, भाई चारा बढ़ता है!
मिलते सभी गले हैं मन से, लक्ष्य’ बैर नहीं पलता है॥
रक्षाबंधन पर्व महान, श्रावण पूर्णिमा हिंद की शान—-
रक्षाबंधन की ढेरों शुभकामनाएं बहुत बहुत धन्यवाद!
रचनाकार- उमाकांत भरद्वाज (सविता) ‘लक्ष्य’, भूतपूर्व शाखा
प्रबंधक एवं जिला समन्वयक-म.प्र.ग्रामीण बैंक, भिंड (म.प्र.)
निवासी- गांधीनगर, भिंड (म.प्र.)