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सूखे आंगन की दीवारी : कुशलेन्द्र श्रीवास्तव

(राजनीतिक सफरनामा ) दीपमाला से कांक्रीट के आंगन सज चुके हैं और सीमेन्ट की मोटी-पतली दीवालों पर भी लाइटिंग जगमगा रही है । अब यही तो प्रदर्शित करती है कि दीपावली का त्यौहार आ चुका है । ऊंची-ऊची बिल्डिंगों पर रोशनी जगमग हो रही है, उनके परिवार के मुस्कुराते हुए चेहरों पर और पा लेने…

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यम द्वितीया का पौराणिक महत्व

 भारत त्योहारों का देश है। हिंदू धर्म में सभी त्योहारों का कोई ना कोई पौराणिक महत्व होता है ।सभी त्योहार किसी न किसी घटना से संबंधित होते हैं। कभी -कभी घटनाएं परंपराएं बन जाती है। सतयुग से कलयुग तक  हिंदू धर्म में कई परंपराएं आज भी ज्यों कि त्यों चली आ रही हैं।  आज भी…

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आर.एस.पब्लिक स्कूल ने धूमधाम से मनाया दशहरा महोत्सव

आर.एस.पब्लिक स्कूलrun by :लक्ष्मी ट्रेनिंग एजुकेशन सोसाइटीनवरात्रों में हर देवी का स्वरूप बनाकर सभी माताओं की कथा सुनाकर प्रतिदिन अतिथियो ने विद्यार्थियों का मार्गदर्शन किया गया और उनको शिक्षा के बल पर ही आगे बढ़ने की सलाह दी गई ये ही बच्चे आगे चलकर देश के निर्माण में अपनी भूमिका अदा करेंगे ।हरीनगर थानाध्यक्ष श्रीमान…

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कितना बदल गया इंसान’ (सम्पादकीय)

संपादक मनमोहन शर्मा ‘शरण’ अक्टूबर माह का प्रारंभ भारत की दो महान विभूतियों की जयंती से हो रहा है। 2 अक्टूबर एक और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी की जयंती दूसरी ओर सादा जीवन उच्च विचार की सर्वोत्तम मिसाल भूतपूर्व प्रधानमंत्री लालबहादूर शास्त्री जी की भी। तिथि दो महानविभूतियाँ भी दो, जिन्होंने ना सिर्फ भारत अपितु…

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व्यंग्य : हथकंडो के हाथ पकड़े रखिए .!

       पंकज सीबी मिश्रा, राजनीतिक विश्लेषक / पत्रकार जौनपुर यूपी रूस ज़ब सीरिया के मुंह में सरिया घुसाए देश भर को शांति का पाठ पढ़ा रहा था वहीं दूसरी तरफ बांग्लादेश आ बैल मुझे मार की तर्ज पर खुद का ही उड़ता तीर अपने ऊपर लें लिया है। श्रीलंका की ज़ब लंका लगी थी तब…

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सावधान सावधान वोटर मौन है ! -कुशलेन्द्र श्रीवास्तव

चुनाव चल रहे हैं भले ही केवल दो राज्यों के चनाव हों पर माहौल वैसा ही है, एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप वाला । वैसे ऐसी अंत्याक्षरी न हो तो मजा भी नहीं आता, हमें भी आदत सी बन गई है । चुनाव घोषित होने के पहले ‘‘तू चल मैं आया’’ वाले आवागमन को देखने की…

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आगमन संदेश प्रिय के

साँवरी भूरि धरा पर,  नथ सजा जौ की सुनहरी,  चाँद की बिछिया बना कर भेंटता फागुन ,  लाल दुल्हन की चुनर मे,  पीत स्वर मंगल-ध्वनि मे,  नील डोली की गति मे ,  घोलता फागुन,  चटक नारंगी पुहुप के,  सरस वंदनवार बनकर नव – वधु के आगमन पर डोलता फागुन ,  श्यामवर्णी कोकिला और,  हरित शुक…

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प्रकाश शिन्दे की ‘आस-प्रयास’ दिखाती है कि दुनिया में अच्छे लोग भी हैं

(ग्वालियर हलचल सम्पादक प्रदीप मांढरे से ‘आस प्रयास’ नाटक के लेखक श्री प्रकाश शिंदे की विशेष वार्ता)प्रदीप मांढरे ग्वालियर हलचल ग्वालियर, 19 सितम्बर। 50 वर्षीय प्रकाश शिन्दे मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ग्वालियर में कार्यरत हैं। पिछले 10 साल से वह अपनी कैंसर पीड़ित पत्नी के इलाज में दिन- रात एक कर रहे थे । दुर्भाग्य से…

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संस्कारों का विकास

कुणाल के दोस्त का जन्मदिन था। वह सुबह से ही पापा के पीछे लगा हुआ था क्योंकि दोस्त के जन्मदिन में जाने के लिए अच्छा सा गिफ्ट भी तो चाहिए था ना। पापा उसे बाजार ले गए और एक साधारण सा गिफ्ट उसे दिलवा दिया। कुणाल को अच्छा नहीं लगा। इधर उसने देखा,पापा खूब सारी…

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किंकर्तव्यमूढ़ समाज के चारों तरफ क्यों जमी है धुंध.!

पंकज सीबी मिश्रा, राजनीतिक विश्लेषक एवं पत्रकार जौनपुर यूपी हम वही देखते है जो हमें दिखाया जाता है जबकि वास्तविक चित्र अब भी धुंधला है और धूर्त नेता इस चित्र के आगे कुंडली मार बैठे है। आपको समाज का सबसे निकृष्ट व्यक्ति साबित करने में इन्हे केवल दो मिनट लगता है जबकि इनका वीआईपी कल्चर…

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