सितम्बर माह का प्रारम्भ अनेक उत्साह एवं चिंतन के साथ हुआ है ।
उत्साह है, गणेश उत्सव का जो पूरे देश में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है । एक वादे के साथ, हे गणपति विघ्नहर्ता, मंगलकर्ता, अगले बरस तू फिर आना ।
उत्साह है, गाँधी जयंती निकट है । इस बार 150वीं जयंती होगी पूरे देश में बड़े–बड़े सरकारी, गैरसरकारी आयोजन होंगे । स्वच्छता पर बात होगी कुछ वादे होंगे तथा कुछ कार्य को लेकर इरादे होंगे ।
चिंतन है, पूर्व वित्त मंत्री पी चिदम्बरम की नाटकीय ढंग से गिरफ्तारी और लगातार सीबीआई रिमांड का बढ़ाया जाना । यह बिलकुल सही है यदि कुछ भी गलत हुआ है वह सामने आना ही चाहिए । किन्तु द्वेष की भावना से प्रेरित बिलकुल न हो । क्योंकि यह सब जानते हैं कि सब दिन होत न एक समान । आज उसकी बारी है तो कल द्वेष से कौन किस पर भारी पढ़ेगा कोई नहीं जानता ।
बात यह भी है कि हम गाँधी जयंती के प्रति उत्साहित हैं । उनके प्रति श्रधापूर्वक नमन करते हैं तो हमें उनके संदेशों, शिक्षा को भी अपनाना चाहिए । द्वेष भावना से आपको कोई भी कृत्य प्रेरित न हो । इसका /यान रखा जाना चाहिए
चिंतन यह भी है कि हम पीठ थपथपा रहे हैं धारा 370 पर, पाक पर विश्व बिरादरी में कसी नकेल पर, लेकिन अपने देश की अर्थव्यवस्था का हाल भी देखो, उस पर चिंतन मनन की आवश्यकता है ।
जीडीपी गिरी धड़ाम से, मत बैठो आराम से
यह संदेश है हमारे लिए । देश में एक से बढ़कर एक अर्थशास्त्री बैठे हैं । हमें अर्थव्यवस्था के प्रति गंभीर होकर योजना बनानी चाहिए । बेरोजगारी की बड़ी समस्या, जीएसटी अभी भी उतना सरल नहीं हुआ कि सबके लिए अपनाना सरल हो, व्यवस्था है इसलिए हो रहा है किन्तु पूर्णतया: स्पष्ट अभी नहीं है ।