(11 अप्रैल, 1869 से 22 फरवरी, 1944)
प्रारंभिक जीवन :-
कस्तूरबा गाँधी का जन्म 11 अप्रैल सन् 1869 में काठियावाड़ के पोरबंदर नगर में हुआ था। कस्तूरबा के पिता ‘गोकुलदास मकनजी’ एक साधारण व्यापारी थे और कस्तूरबा उनकी तीसरी संतान थी। उस जमाने में ज्यादातर लोग अपनी बेटियों को पढ़ाते नहीं थे और विवाह भी छोटी उम्र में ही कर देते थे। कस्तूरबा के पिता महात्मा गाँधी के पिता के करीबी मित्र थे और दोनों मित्रों ने अपनी मित्रता को रिश्तेदारी में बदलने का निर्णय कर लिया था। कस्तूरबा बचपन में निरक्षर थीं और मात्र सात साल की अवस्था में सन् 1876 उनकी सगाई छह साल के मोहनदास के साथ कर दी गई और तेरह साल की छोटी उम्र में सन् 1882 में उन दोनों का विवाह हो गया।
कस्तूरबा का शुरूआती गृहस्थ जीवन बहुत ही कठिन था। उनके पति मोहनदास करमचंद गाँधी उनकी निरक्षरता से नाखुश रहते थे और उन्हें ताने देते रहते थे। मोहनदास को कस्तूरबा का सजना, संवरना और घर से बाहर निकलना बिलकुल भी पसंद नहीं था। उन्होंने ‘बा’ पर आरंभ से ही अंकुश रखने का प्रयास किया पर ज्यादा सफल नहीं हो पाए।
गाँधी जी के साथ जीवन :-
विवाह पश्चात पति-पत्नी सन् 1888 तक लगभग साथ-साथ ही रहे परन्तु मोहनदास के इंग्लैंड प्रवास के बाद वो अकेली ही रहीं। मोहनदास के अनुपस्थिति में उन्होंने अपने बच्चे हरिलाल का पालन-पोषण किया। शिक्षा समाप्त करने के बाद गाँधी इंग्लैंड से लौट आये पर शीघ्र ही उन्हें दक्षिण अफ्रीका जाना पड़ा। इसके पश्चात मोहनदास सन् 1896 में भारत आए और तब कस्तूरबा को अपने साथ ले गए। दक्षिण अफ्रीका जाने से लेकर अपनी मृत्यु तक ‘बा’ महात्मा गाँधी का अनुसरण करती रहीं। उन्होंने अपने जीवन को गाँधी की तरह ही सादा और साधारण बना लिया था। वे गाँधी के सभी कार्यों में सदैव उनके साथ रहीं। बापू ने स्वाधीनता आंदोलन के दौरान अनेकों उपवास रखे और इन उपवासों में वो अक्सर उनके साथ रहीं और देखभाल करती रहीं।
दक्षिण अफ्रीका में उन्होंने गाँधीजी का बखूबी साथ दिया। वहां पर भारतीयों की दशा के विरोध में जब वो आंदोलन में शामिल हुईं तब उन्हें गिरफ्तार कर तीन महीनों की कड़ी सजा के साथ जेल भेज दिया गया। जेल में मिला भोजन अखाद्य था अत: उन्होंने फलाहार करने का निश्चय किया पर अधिकारियों द्वारा उनके अनुरोध पर ध्यान नहीं दिए जाने पर उन्होंने उपवास किया जिसके पश्चात अधिकारियों को झुकना पड़ा।
सन् 1915 में कस्तूरबा भी महात्मा गाँधी के साथ भारत लौट आईं हर कदम पर और उनका साथ दिया। कई बार जन गाँधी जी जेल गए तब उन्होंने उनका स्थान लिया। चंपारण सत्याग्रह के दौरान वो भी गाँधी जी के साथ वहां गई और लोगों को सफाई, अनुशासन, पढ़ाई आदि के महत्व के बारे में बताया। इसी दौरान वो गाँवों में घूमकर दवा वितरण करती रहीं। खेड़ा सत्याग्रह के दौरान भी बा घूम-घूम कर स्त्रियों का उत्साहवर्धन करती रही।
सन् 1922 में महात्मा गाँधी की गिरफ्तारी के पश्चात उन्होंने वीरांगनाओं जैसा वक्तव्य दिया और इस गिरफ्तारी के विरोध में विदेशी कपड़ों के परित्याग का आह्वान किया। उन्होंने गाँधीजी का संदेश प्रसारित करने के लिए गुजरात के गाँवों का दौरा भी किया। सन् 1930 में दांडी और धरासणा के बाद जब बापू जेल चले गए तब बा ने उनका स्थान लिया और लोगों का मनोबल बढ़ाती रहीं। क्रांतिकारी गतिविधियों के कारण सन् 1932 और 1933 में उनका अधिकांश समय जेल में ही बीता।
सन् 1939 में उन्होंने राजकोट रियासत के राजा के विरोध में भी सत्याग्रह में भाग लिया। वहां के शासक ठाकुर साहब ने प्रजा को कुछ अधिकार देना स्वीकार किया था परन्तु बाद में वो अपने वादे से मुकर गए।
स्वतंत्रता सेनानी :-
अगर हम भारत के स्वतंत्रता संग्राम की बात करें तो हमारे मस्तिष्क में अनेकों महिलाओं का नाम प्रतिबिंबित होता है पर वो महिला जिनका नाम ही स्वतंत्रता का पर्याय बन गया है वो हैं ‘कस्तूरबा गाँधी’। ‘बा’ के नाम से विख्यात कस्तूरबा गाँधी राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की धर्मपत्नी थी और भारत के स्वाधीनता आंदोलन में उन्होंने महत्वपूर्ण योगदान दिया। निरक्षर होने के बावजूद कस्तूरबा के अन्दर अच्छे-बुरे को पहचानने का विवेक था। उन्होंने ताउम्र बुराई का डटकर सामना किया और कई मौकों पर तो गाँधी जी को चेतावनी देने से भी नहीं चूकीं। बकौल महात्मा गाँधी, “जो लोग मेरे और बा के निकट संपर्क में आए हैं, उनमें अधिक संख्या तो ऐसे लोगों की है, जो मेरी अपेक्षा बा पर कई गुना अधिक श्रद्धा रखते हैं”। उन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन अपने पति और देश के लिए व्यतीत कर दिया। इस प्रकार देश की आजादी और सामाजिक उत्थान में कस्तूरबा गाँधी ने बहुमूल्य योगदान दिया।
गिरता स्वास्थ्य और निधन :-
‘भारत छोड़ो’ आन्दोलन के दौरान अंग्रेजी सरकार ने बापू समेत कांग्रेस के सभी शीर्ष नेताओं को 09 अगस्त, 1942 को गिरफ्तार कर लिया। इसके पश्चात बा ने मुंबई के शिवाजी पार्क में भाषण करने का निश्चय किया किंतु वहां पहुँचने पर उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और पूना के आगा खाँ महल में भेज दिया गया। सरकार ने महात्मा गाँधी को भी यहीं रखा था। उस समय वे अस्वस्थ थीं। गिरफ्तारी के बाद उनका स्वास्थ्य बिगड़ता ही चला गया और कभी भी संतोषजनक रूप से नहीं सुधरा।
सन् 1944, जनवरी माह में उन्हें दो बार दिल का दौरा पड़ा। उनके निवेदन पर सरकार ने आयुर्वेद के डॉक्टर का प्रबंध भी कर दिया और कुछ समय के लिए उन्हें थोडा आराम भी मिला पर 22 फरवरी, 1944 को उन्हें एक बार फिर भयंकर दिल का दौरा पड़ा और बा हमेशा के लिए ये दुनिया छोड़कर चली गयीं।
भारत सरकार की योजना KGBV :-
भारत सरकार ने 2004 में अनुसूचित जाति, जनजाति व पिछड़े वर्ग की बालिकाओं और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए आवासीय क्षेत्र के लोगों के लिए शिक्षा देने के लिए कस्तूरबा गाँधी बालिका विद्यालय (KGBV) योजना का शुभारंभ किया। देश के सभी लोगों को शिक्षा देने के लिए और कस्तूरबा के प्रति आदर बढ़ाने के लिए इस योजना की शुरुआत की गई। केंद्र सरकार द्वारा इस योजना की शुरुआत पहले के 2 सालों तक एक अलग योजना के रूप में सर्व शिक्षा अभियान, बालिकाओं के लिए प्राथमिक स्तर पर शिक्षा दिलाने का राष्ट्रीय कार्यक्रम व महिला समाख्या योजना के साथ सामंजस्य बैठाते हुए की गई थी। लेकिन, भारत सरकार ने 01 अप्रैल, 2007 को सर्व शिक्षा अभियान में इसका विलय कर दिया था।
भारत सरकार द्वारा चलाई जाने वाली यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण योजना है। कस्तूरबा गाँधी विद्यालय योजना के चलते देश के सभी पिछड़े वर्ग और गाँव में रहने वाले अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक समुदाय और गरीबी रेखा से नीचे की लड़कियों को नि:शुल्क शिक्षा दी जाती है।
महत्वपूर्ण घटनाक्रम :-
1869 : 11 अप्रैल को जन्म हुआ।
1882 : तेरह साल की छोटी उम्र में मोहनदास करमचंद गाँधी से विवाह हुआ।
1896 : मोहनदास के साथ दक्षिण अफ्रीका गई।
1915 : महात्मा गाँधी के साथ भारत लौटी और हर कदम पर उनका साथ दिया।
1922 : महात्मा गाँधी की गिरफ्तारी के बाद उन्होंने वीरांगनाओं जैसा वक्तव्य दिया और इस गिरफ्तारी के विरोध में विदेशी कपड़ों के परित्याग का आह्वान किया।
1932-1933 : अधिकांश समय जेल में रही।
1939 : राजकोट रियासत के राजा के विरोध में सत्याग्रह में भाग लिया।
1942 : ‘भारत छोड़ो’ आन्दोलन के लिए गिरफ्तार हुई।
1944 : 22 फरवरी को निधन हुआ।
2004 : भारत सरकार द्वारा अनुसूचित जाति, जनजाति व पिछड़े वर्ग की बालिकाओं और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए आवासीय क्षेत्र के लोगों के लिए नि:शुल्क शिक्षा देने के लिए कस्तूरबा गाँधी बालिका विद्यालय योजना का शुभारंभ किया गया।