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बासंती बयार के बीच चुनावी चर्चा

कुशलेन्द्र श्रीवास्तव

चलो बसंत का मौसम भी आ गया । वैसे तो बसंत प्रकृति के पीत वसन पहन लेने का त्यौहार है । हम भारतीय तो त्यौहारों में  अपने आनंद को खोजते हैं और इस आनंद मे अपने भविष्य की छवि को निहारते हैं  बसंत आया तो बासंती बयार का आनंद लेने लगे । वैसे भी बसंत अब वातावरण में नहीं दिखाई देता इसके लिए कैलेएडर देखना पड़ता है उसमें लिखा है कि बसंत आ गया तो मान लो कि आ गया । तो हमने मान लिया कि बसंत आ गया है और बासंती बसार बहने लगी है । एक बसंत तो अभी उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में कुम्भ का भी चल रहा है । इस बार प्रयागराज के महाकुम्भ में सारे रिकार्ड टूटे जा रहे हैं । बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं और पवित्र संगम में डुबकी लगाकर धर्मलाभ ले रहे हैं । प्रयागराज की सड़कं आम आदमियों से भरी पड़ी हैं और गंगा तट में श्रद्धालु एक दूसरे को धकिशते हुए गंगा मे स्नान कर रहे हैं । धकियाना भी आनदं उत्सव का ही अंग है । इस बार कुम्भ का प्रचार-प्रसार कुछ ज्यादा ही हुआ तो श्रृद्धालुओं की संख्या भी बढ़ गई ।  ट्रेनें कम पड़ती दिखाई देने लगीं भले ही रेल्चे विभाग ने कुम्भ के लिए हजारों नई ट्रेनें चलाई हों, बसों में क्षमता से ज्यादा भीड़ है और लोग अपने प्राइवेट वाहनों से भी आ जा रहे हैं । सही कहा था योगी जी ने कि इस बार कुम्भ में 40 करोड़़ से अधिक श्रद्धालु पहुंचेगें तो लग रहा है पहुंचेगें ही अभी तो पूरा एक महिना है और आंकड़ा अभी से बढ़ कर बीस करोड़ तक पहुंच चुका है । वैसे सच तो यह भी है कि इस बार कुम्भ मेले में व्यवस्थाएं बहुत बेहतर हैं, प्रशासन ने बहुत बारीकी से तैयारी की है । इस बारीकी का ही असर है कि लोगों की भीड़ के बाद भी इस भीड़ का सम्हाल पाना संभव हो पा रहा है । अब इतनी भीड़ है तो कुछ अव्यवस्थाओं की शिकायत तो होगी ही पर वह उतनी मायने नहीं रखती बहुसंख्यक श्रृद्धालु इस बार की व्यवस्था से प्रसन्न हैं । साधु संत भी अपनी व्यवस्थाओं से प्रसन्न हैं तो निश्चित ही व्यवस्था बहुत अच्छी है । वैसे ऐसा कहा जा सकता है कि इस समय पूरा देश कुम्भ पर केन्द्रित हो चुका है जो कुम्भ होकर आ चुके हैं वे दूसरों को प्रेरित कर रहे हैं कि वे घूम आयें और जो जाने की तैयारी कर रहे हैं वे भीड़ के गणित का आंकलन कर रहे हैं कि कुछ भीड़ कम हो तो वे जायें । कुम्भ में आईटी वाले बाबा की चर्चा हो रही है तो अब फिल्म अभिनेत्री रही ममता कुलकर्णी के किस्से भी चल रहे हैं जिनको यकायक किन्नर अखाड़े ने महामंडलेश्वर बना दिया । धर्मससंद का आयेजन भी वहां हो रहा है जिसकी पैरवी देवकीनंदन ठाकुर कर रहे हैं । इस धर्मसंसद में सनातन बोर्ड बनाये जाने की मांग की जा रही है । सही भी है कि जब वक्कफबोर्ड है तो सनातन बोर्ड भी होना ही चाहिए । बहुसंख्यक सुमदाय सनातनी है तो इसके लिए बोर्ड होना चाहिए । अभी तो मांग की जा रही है और लगता है कि मांग मान भी ली जायेगी । कुम्भ परिसर में बड़े-बड़े टैन्ट साधु महात्माओं के लिए लगे हैं जहां धर्म भी चल रहा है और संस्कृति भी चल रही है, भोजन की व्यवस्था भी है और ठहरने की भी है । आलीशान टैन्टों में बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंच भी रहे हैं और र्ध्मा का लाभ भी ले रहे हैं, वहीं नागा साधुओं की भी अलग ही दुनिया है । नागा साधु हमेशा से ही रहस्मयी रहे हैं, इनके बारे में जानने और समझने की जिज्ञासा लगभग सभी के मन में होती है । कुम्भ में ही उनके दर्शन मिलते है इसलिए इन साधुओं के दरबार में सर्वाधिक भीड़ भी दिखाई दे रही है । एक कुम्भ जैसा वातावरण दिल्ली में भी चल रहा है । वहां चुनाव जो हो रहे हैं । वोटिंग तारीख जैसे-जैसे पास आती जा रही है वैसे ही वैसे वहां का माहौल गरमाता जा रहा है । इस बार तो केजरीवाल को भाजपा के साथ ही साथ कांग्रेस के हमलों का भी सामना करना पड़ रहा है । कांग्रेस बहुत आक्रमक होकर चुनाव लड़ रही है ।ै ऐसा पिछले दो चुनावों में देखने को नहीं मिला । कांग्रेस पूरी रणनीति बनाकर काम कर रही है और आप पार्टी पर आक्रमण कर रही है । यह केजरीवाल के लिए अच्छे संकेत नहीं माने जा रहे हैं । कांग्रेस के बड़े-बड़े नेता राहुल गांधी से लेकर खरगे तक चुनावी मैदान में कूद चुके हैं । केजरीवाल को भाजपा ने पूरी तरह घेर कर रखा है । वैसे भी भाजपा ने चुनावी माहौल बनाना तो एक वर्ष पूर्व ही प्रारंभ कर दिया था जिसका परिणाम उनको अब देखने को मिल भी रहा होगा । आप पार्टी के खिलाफ माहौल बनाना सबसे बड़ी रणनीति थी जिसमें भाजपा सफल होती दिख रही है । भाजपा के पास स्टार प्रचारकों की लम्बी सूची है, ऐसी सूची कांग्रेस के पास भी नहीं है और आप पार्टी तो पूरी तरह ही केवल केजरीवाल पर ही निर्भर है । अरविन्द केजरीवाल मेहनत तो कर रहे हैं पर इस मेहनता का क्या परिणाम होगा वह रिजल्ट ही बतायेगा । भाजपा की आईटी सेल भी बहुत सक्रिय है और केजरीवाल द्वारा हर कही बात में से अपने काम के लायक बात को बाहर निकालकर प्रचार करने में वह सफल भी हो रही है । पहले पूर्वी अंचल के वोटरों का मुद्छा उठाया गया और अब यमुना के जल का मुद्दा सामने रखकर अप पार्टी के खलाफ माहौल बनाया जर ीहर त्रिहै । वैसे दिल्लीवासी भी यह जानते और मानते हैं कि यमुना नदी के जल का प्रदूषण आप पार्टी कम नहीं कर पाई है । आज यमुना नदी दिल्ली में सर्वाधिक प्रदूषित नदी में शुमार हो चुकी है । दिल्ली वासियों को पीने का पापी यमुना नदी के जल से ही मिलता है तो स्वाळाविक रूप् से यमुना नदी का प्रदूषण दिल्ली वालों के लि बहुत मायने रखता है । दिल्ली सरकार का जलबोर्ड यमुना के जल को पीने येग्य पानी में बदलकर ही दिल्लीवासियों को उपलब्ध कराता है पर जब इसमें प्रदूषण अधिक हो जाता है तब इसे शुद्ध करना भी कठिन हो जाता है । अरविन्द केजरीवाल को लगता है कि यमुना का जल हरियाणा से निकलने के बाद ज्यादा प्रदूषित हो रहा है तो वे इस हरियाणा सरकार से जोड़कर देखते हैं । इस वर्ष जब यमुना में भीषण बाढ़ आई थी तब भी केजरीवाल ने हरियाणा सरकार पर जबरन हाथिनी डेम से पानी छोड़ने का आरोप लगाया था । इस बाड़ेसे दिल्लीवासियों को बहुत नुकसान उठाना पड़ा था । अब जब हरियाणा से यमुना नदी में आने वाला पानी अधिक प्रदूषित आ रहा है तब भी हरियाणा की ओर ही इंगित किया जा रहा है और मजे की बात यह है कि दिल्ली सरकार के अधीन आने वाला जलबोर्ड इसे नकार भी रहा है । आप पार्टी की विडम्बना यह भी रही है कि वह सत्ता में रहते हुए भी अपने अधीन आने वाले विभाग के अधिकारियों पर कमांड नहीं पाती है । हाल ही में जब महिला सम्मान निधि की घोषणा दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी सिंह ने की थी तब भी दिल्ली सरकार के अधीन आने वाले महिला बाल विकास ने बकायदा अखबारों में विज्ञापन छपवाकर ऐसी किसी योजना के होने से ही इंकार कर दिया था । भाजपा ऐसे मुद्दों को झट से अपने हाथों में ले लेती है और फिर उल्टे आप पार्टी पर ही हमला करने लगती है । इस बार भी ऐसा ही हुआ । आप पार्टी ने जैसे ही हरियाणा की ओर से आने वाले यमुना के जल के प्रदूषण का मुद्दा उठाया भाजपा ने उससे ही आप पार्टी को घेर लिया । चुनाव तक यह ही चलना है । कांग्रेस को मजबूरन भाजपा के मुद्दों का समर्थन करना पड़ रहा है । कांग्रेस और आप पार्टी ने लिकर लोकसभा का चुनाव लड़ा था और अरविन्द केजरीवाल ने कांग्रेस के प्रत्याशी के लिए सभायें भी की थीं पर अब माहौल बदल गया है क्योंकि कांग्रेस का उस गठबंधन से कोई फायदा हु नहीं था, दसरे उसकी जमीन दिल्ली से खिसकती जा रही थी, तीसरे हरियाणा के विधानसभा चुनावों में आप पार्टी ने भी कांग्रेस के साथ गठबंधन न कर अलग ही चुनाव लड़ा था और उसके नेताओं ने भी कांग्रेस को बुरा-भला कहा था, हरियाणा में कांग्रेस जीतते-जीतते रह गई थी तो ऐसा माना गया कि आप पार्टी के कारण ही ऐसा हुआ, तो अब कांग्रेस को आप पार्टी से बदला लेने का सुनहरा अवसर मिल गया है तो वह ले रही है हांलाकि इंडिया गठबंधन के बाकी सभी दल आप पार्टी का ही साथ दे रहे हैं पर इन दलों का दिल्ली विधानसभा में कोई प्रभाव है ही नहीं । अब यदि आप पार्टी दिल्ली विधानसभा का चुनाव हारती है तो उसमें कांग्रेस की भूमिका मुख्य रहेगी ऐसा राजपतिक विशलेषक मान रहे हैं । भाजपा के लिए यह सुनहरा अवसर है और उसने अपने बड़े-बड़े नेताओं को चुनावी मैदान में उतारा भी है, पूर्व सांसद चुनाव लड़ रहे हैं और राज्यस्तर के बड़े नेता भी चुनावी मैदान में हैं याने भाजपा ने अपनी पूरी ताकत छोंक रखी है यही कारण है कि आप पार्टी को कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा है । राहुल गांधी ने संविधान बचाने का कम अपने हाथों में ले रखा है ऐसा उनको लगता है । लोकसभा चुनावों से हमेशा उनके हाथ में एक लाल किताब दिखाई देती है जिसे वे संविधान की किताब कहते हैं । इस संविधान को बचाने का नारा देकर उन्होने मध्यप्रदेश के मऊ में एक दिवसीय आन्दोलननुमा किया । मऊं भीमराव अम्बेडकर जी का जन्म स्थान है और अम्बेडकर जी ने संविधान के निर्माण में अहम भूमिका निभाई है । अभी पिछली लोकसभा के बैठक में अमितशाह जी ने ऐसा कुछ बोला था जिसे अम्बेडकर जी के खिलाफ बोलना बताया गया था । उसी तारतम्य में कांग्रेस ने मऊ में आयोजन किया था । इसके लिए मध्य प्रदेश कांग्रेस ने अपनी पूरी ताक लगाई पर दुर्भाग्य से यह इतना सफल नहीं हो पाया । मध्यप्रदेश में कांग्रेस संगठन अब मजबत नहीं रहा है । मध्यप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सीनियर कांग्रेस नेताओं के साथ एकजुटता नहीं दिखा पा रहे है जिसके कारण वहां कांग्रेस गुटों में बंटी दिखाई देती है । पिछला विधानसभा चुनाव हारने के बाद तो कांग्रेस में मुर्देनी सी छा गई है । कांग्रेस के कार्यकर्ता निरश और हताश दिखाई देते हें, वहीं कांग्रेस के कई बड़े नेता भाजपा में जा चुके हैं इसके कारण भी कांग्रेस जमीनीस्तर पर कमजोर दिखाई देने लगी है । कांग्रेस की सह कमजोरी सत्तारूढ़ भाजपा के लिए वरदान बन चुकी है जिसका पूरा फायदा वहां के मुख्यमंत्री ले भी रहे हैं । भाजपा ने हर एक कांग्रेसी राज्य को कमजोर कर दिया है अब व कांग्रस केवल बासंती बयार की राह देख रही है ।

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