साँवरी भूरि धरा पर,
नथ सजा जौ की सुनहरी,
चाँद की बिछिया बना कर
भेंटता फागुन ,
लाल दुल्हन की चुनर मे,
पीत स्वर मंगल-ध्वनि मे,
नील डोली की गति मे ,
घोलता फागुन,
चटक नारंगी पुहुप के,
सरस वंदनवार बनकर
नव – वधु के आगमन पर
डोलता फागुन ,
श्यामवर्णी कोकिला और,
हरित शुक के शुभ स्वरों मे
आगमन संदेश प्रिय के
भेजता फागुन..
नील नभ के शुभ पटल पर,
नित गुलाबी क्यारियोँ को,
सूर्य स्वर्णिम तूलिका से
रंगता फागुन…
प्रियंवदा मिश्रा मेघवर्णा ©