जमाने के साथ चले चलना तो कोई बात नही,
आकाश की ऊँचाइयों को छुओ तो कोई बात बने।
कोमल बनो तो बनो कोई बात नहीं,
चट्टानों से टकराने की ताकत हो तो कोई बात बने।
महिला दिवस मनाओ तो मनाया ही करो,
हर दिवस को ये दिवस बनाओ तो कोई बात बने ।
सजे रहना तो खिलौनों को ही भाता है,
किस्मत को खुद से सजाओ तो कोई बात बने ।
दूसरे के सहारे से चलना तो कोई चलना नहीं,
दूसरे का सहारा स्वयं बन जाओ तो कोई बात बने ।
महिला हो महिला होना तो कोई बात नहीं,
महिला संग सबला हो जाओ तो कोई बात बने ।
डॉ.सरला सिंह स्निग्धा
दिल्ली