मंजु लता
भारत त्यौहार और मेलों का देश है। वस्तुत: वर्ष के प्रत्येक दिन उत्सव मनाया जाता है। पूरे विश्व की तुलना में भारत में सबसे अधिक त्यौहार मनाए जाते हैं। इनमें से अधिकांश त्यौहार भारत के अधिकांश भागों में समान रूप से मनाए जाते हैं। प्रमुख त्यौहारों में होली भी बड़ा त्यौहार है और पूरे भारत में समान रूप से मनाया जाता है। ब्रज की होली , मथुरा की होली, वृंदावन की होली, राजस्थान की गैर बहुत ही प्रसिद्ध है।
होली एक रंगबिरंगा त्यौहार है, जिसे हर धर्म के लोग पूरे उत्साह और उमंग के साथ मनाते हैं। इस दिन सारे लोग अपने पुराने गिले-शिकवे भूल कर गले लगते हैं और एक दूजे को गुलाल लगाते हैं। बच्चे और युवा रंगों से खेलते हैं। फाल्गुन मास की पूर्णिमा को यह त्यौहार मनाया जाता है। होली के साथ अनेक कथाएं जुड़ीं हैं। होली मनाने के एक रात पहले होली को जलाया जाता है। इसके पीछे एक लोकप्रिय पौराणिक कथा है।
भक्त प्रह्लाद के पिता हरिण्यकश्यप स्वयं को भगवान मानते थे। वह विष्णु के विरोधी थे जबकि प्रह्लाद विष्णु भक्त थे। उन्होंने प्रह्लाद को विष्णु भक्ति करने से रोका , जब वह नहीं माने तो उन्होंने प्रह्लाद को मारने का प्रयास किया पर हर बार नाकाम रहे।
प्रह्लाद के पिता ने आखिर में अपनी बहन होलिका से मदद मांगी। होलिका को आग में न जलने का वरदान प्राप्त था। होलिका अपने भाई की सहायता करने के लिए तैयार हो गई। होलिका प्रह्लाद को लेकर चिता में जा बैठी परन्तु विष्णु की कृपा से प्रह्लाद सुरक्षित रहे और होलिका जल कर भस्म हो गई।
यह कथा इस बात का संकेत करती है कि बुराई पर अच्छाई की जीत अवश्य होती है। आज भी फाल्गुनी पूर्णिमा को होली जलाते हैं, और अगले दिन सब लोग एक दूसरे पर गुलाल, अबीर और तरह-तरह के रंग डालते हैं। यह त्यौहार रंगों का त्यौहार है।
इस दिन लोग प्रात:काल उठकर रंगों को लेकर अपने नाते-रिश्तेदारों व मित्रों के घर जाते हैं और उनके साथ जमकर होली खेलते हैं। बच्चों के लिए तो यह त्यौहार विशेष महत्व रखता है। वह एक दिन पहले से ही बाजार से अपने लिए तरह-तरह की पिचकारियां व गुब्बारे लाते हैं। बच्चे गुब्बारों व पिचकारी से अपने मित्रों के साथ होली का आनंद उठाते हैं।
सभी लोग बैर-भाव भूलकर एक-दूसरे से परस्पर गले मिलते हैं। घरों में औरतें एक दिन पहले से ही मिठाई, गुझिया आदि बनाती हैं व अपने पास-पड़ोस में,रिश्तेदारो में आपस में बाँटती हैं।
आजकल अच्छी गुणवत्ता के रंगों का प्रयोग नहीं होता और त्वचा को नुकसान पहुंचाने वाले रंग खेले जाते हैं। यह सरासर गलत है। इस मनभावन त्यौहार पर रासायनिक लेप व नशे आदि से दूर रहना चाहिए। बच्चों को भी सावधानी रखनी चाहिए। बच्चों को बड़ों की निगरानी में ही होली खेलनी चाहिए। दूर से गुब्बारे फेंकने से आँखो में घाव भी हो सकता है। रंगों को भी आंखों और अन्य अंदरूनी अंगों में जाने से रोकना चाहिए। यह मस्ती भरा पर्व मिलजुल कर प्रेम, भाईचारे से मनाना चाहिए।