ये कैसी अजब नगरी है
जहाॅं कोई राजा
और कोई रंक है
कोई आसमान में बैठा
कोई ज़मीन की धूल में लेटा है
कोई ऐसी के आलिशान कमरों में सोता
तो कोई सड़क के किनारे फुटपाथ पर सारी रात जागता है
कोई फाईव स्टार होटल में आराम से बढ़िया व्यंजन खाता
तो कोई उनकी जूठन से अपना पेट भरता है
कोई धन की गड्डी ही दिनभर गिनता रहता
तो कोई एक एक रुपया जोड़ने में जिंदगी गुजार देता है
कोई दाग़ लगे श्वेत वस्त्रों में भी शरीफ़ होता
तो कोई शरीफ़ होकर भी दाग़ दार कहलाता है
सुरभि