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हाहाकार का जिम्मा कौन लेगा ? ? ?

मनमोहन शर्मा ‘शरण’ (प्रधान संपादक) फरवरी 2021 आते आते भारत में कोरोना की पहली लहर मानो शांत सी हो चली थी और लगने लगा था कि अब जल्द ही ऐसा भी समय आएगा जब देशवासी खुली हवा में बंधन मुक्त होकर श्वांस लेंगे और फिर वही मिलने–जुलने का माहौल बनेगा और समारोह–जलसे आदि में भाग…

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व्यंग्य :: कोरोना काल की शादी

कोरोना काल में मैं दावतों को तरस गया था।वैसे एक साल में लगभग बीस दावतों का आनंद ले लेता था । जिस दिन दावत होती थी, उस दिन मेरे चेहरे पर रौनक आ जाती थी । दिन भर व्यंजनों के सपनों में खोया रहता था। उस दिन मैं कुछ भी नही खाता था। शाम को…

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माँ

माँ तू ममता की मूर्ति है,तुझे दोष न दिखे संतानों में नव मास उदर में तूने पालादुःख सहकर भी मुझे संभालासौ बार न्योछावर तू हो जातीमेरी मीठी मीठी मुस्कानों मे,माँ तू ममता की मूर्ति है,तुझे दोष न दिखे संतानों में ।।1।। मैं हंसता हूं तू हँसती हैमैं रोता हूँ तू रोती है।मेरा संसार सजाती तुमअपने…

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Ambulances Crying

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अक्षय तृतीया (आखा तीज)

 मंजुलता वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को ‘अक्षय तृतीया’ या ‘आखातीज’ कहते हैं। ‘अक्षय’ का शाब्दिक अर्थ है- जिसका कभी नाश (क्षय) न हो अथवा जो स्थायी रहे। अक्षय तृतीया तिथि ईश्वर की तिथि है। इसी दिन नर-नारायण, परशुराम और हयग्रीव का अवतार हुआ था इसलिए इनकी जयंतियां भी अक्षय तृतीया को मनाई…

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“राम तुम्हे आना होगा।”

राम यानि वो चरित्र जिसने जीवन जीने की कला सिखाई। अपना सम्पूर्ण जीवन इस तरह व्यतीत किया कि मिसाल बन गए। हर युग में, हर परिस्थिति में उनके द्वारा उठाए गए हर कदम का लोग गुणगान करते हैं। यूं ही नही उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता है। उनके व्यक्तित्व का आकर्षण, कोमल वाणी का सम्मोहन…

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राष्ट्रीय लूट प्रबन्धन में हम कितने अव्वल !

कोरोना जैसी महामारी में भी हमने जितना लूटते बना हमने लूटें कभी डॉक्टर बनकर तो कभी पुलिस बनकर , कभी व्यापारी बनकर तो कभी सस्ते गल्ले का दुकानदार बनकर । सरकारे ने भी आम जनता को लूटने में कोई कोर कसर नही छोड़ी । विश्व का सबसे बड़ा नोटतांत्रिक देश भारत बन ही गया ,जहां…

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मानवता को प्रणाम : मनमोहन शर्मा ‘शरण’

भारत में कोरोना विस्फोट चरम पर है, 3–80 लाख के लगभग मामले एक दिन में आना अपने में भयावह है किन्तु साथ ही ठीक होने वालों की संख्या भी 2–97 लाख के लगभग है, जो बाकी देशों की तुलना में संतोषजनक है । इस बार कोरोना की सूनामी युवाओं को अ/िाक चपेट में ले रही…

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स्वास्थ्य सेवाओं पर उठ रहें सवाल, जिम्मेदार मौन !

कोरोना जैसी भयंकर महामारी ने स्वास्थ्य सेवाओं की कलई खोल दी है । पुराने और बिल्कुल जर्जर स्थिति में पहुंच चुकी सरकारी स्वास्थ्य सेवाएं निरीह और बेबस नजर आ रही । प्राइवेट चिकित्सालय चुप्पी साध चुके है । सुनने में तो यहां तक आ रहा कि प्राइवेट अस्पतालों में मरीजों को भर्ती तक लेने से…

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वंशबेल

“विगत महीनों में जाने कितनी बार दुहराया, ‘मुझे माफ कर दो, तारिका!’ पर मन का बोझ कम नहीं होता, क्योंकि कृत्य माफी के योग्य था ही नहीं। पर जाने क्यों, पार्क की इस बेंच पर बैठते ही तुम्हारे यहीं कहीं होने का एहसास जागृत हो उठता है, क्योंकि यह बेंच हमारी पसंदीदा जगह थी, जब…

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