2022
कस्तूरबा गाँधी : डॉक्टर मनोज
(11 अप्रैल, 1869 से 22 फरवरी, 1944) प्रारंभिक जीवन :- कस्तूरबा गाँधी का जन्म 11 अप्रैल सन् 1869 में काठियावाड़ के पोरबंदर नगर में हुआ था। कस्तूरबा के पिता ‘गोकुलदास मकनजी’ एक साधारण व्यापारी थे और कस्तूरबा उनकी तीसरी संतान थी। उस जमाने में ज्यादातर लोग अपनी बेटियों को पढ़ाते नहीं थे और विवाह भी…
पति-पत्नी और उम्र का फ़ासला! (लेख)
-डॉ.अरुणा कपूर रिश्तेदारी में ही एक शादी समारोह में शरीक होना पड़ा….पता चला कि दूल्हा 50 साल का है और दुल्हन 22 साल की है।…शादी भी आपसी रजामंदी से ही हो रही है।…वाह! …..हमारे भारतीय समाज में जब विवाह को ले कर चर्चा-विचारणाएं…
भव्य कल्चरल सोसायटी द्वारा आयोजित तीसरे भव्य रंग महोत्सव का सफल आयोजन
10 अप्रैल 2022 को धर्मा स्टूडियो,ईस्ट ऑफ कैलाश नई दिल्ली में किया गया। इस रंग महोत्सव में पांच विशेष अतिथि थे श्री प्रेम भारती जी(प्रसिद्ध गीतकार और लेखक),मनमोहन शर्मा “शरण” जी(लेखक,कवि और संपादक उत्कर्ष मेल पत्रिका), सुरेन्द्र सागर जी(प्रसिद्ध कलाकार और निदेशक),दिनेश कपूर जी(लेखक और इतिहासकार )और रवि कपूर जी(सामाजिक कार्यकर्ता) इस रंग महोत्सव में…
देश में कोरोना की स्थिति बरकरार, 24 घंटे में आए 975 नए मामले, 4 की गई जान
देश में कोरोना के नए मामलों की संख्या एक बार फिर एक हजार से कम आई है। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार पिछले 24 घंटों में कोरोना के 975 नए मामले सामने आए हैं। वहीं कोरोना को मात देने वाले लोगों की संख्या में भी गिरावट आई है। इस दौरान 796 लोग ठीक हुए हैं तो वहीं…
लोकगीत संध्या का सफल आयोजन संपन्न
किसी ने सच ही कहा हैं कि अगर आप लोकगीत समझते है तो आप उस क्षेत्र की संस्कृति और परम्परा को सरलता से समझ सकते है।माटी की भीनी भीनी खुशबू ढ़ोलक की थाप और लोकगीतो की विविधता से भरी सुरमयी शाम के आगाज का चिर प्रतीक्षित समय आ ही गया। सरिता जी के पेज पर…
हमने युद्ध नहीं बुद्ध को चाहा है (सम्पादकीय)
मनमोहन शर्मा ‘शरण’ (संस्थापक, सम्पादक) सर्वप्रथम आप सभी को चैत्र् नवरात्रि की हार्दिक बधाई एवं माँ भगवती की कृपा आप सभी पर बनी रहे, मेरी यही कामना है ।माँ की कृपा से ज्ञान–भक्ति–वैभव एवं समृद्धि में निरंतर वृद्धि होती रहे, ऐसी मेरी प्रार्थना है ।यदि मैं भारत की बात करूँ तो एक कृपा तो अवश्य…
बैसाख़ पर गुलज़ार हो हर हृदय में प्रेम की शाख़
कविता मल्होत्रा (स्थायी स्तंभकार, संरक्षक) प्रेम के पल्लवों से गुलज़ार हो जाए हर शाख़ नवचेतना हर रूह में उतरे तो घटित हो बैसाख़ वक्त की रफ़्तार और प्रकृति के प्रहार धीमे धीमे अपने विभिन्न रंगों से समूचे विश्व को रंग रहे हैं।वैश्विक स्वास्थ्य केवल दैहिक उपकरणों की देख-भाल का परिमाण नहीं है, बल्कि वैश्विक मानसिकता…
राजनीतिक सफरनामा : मैया कर दो दुष्टों का संहार
कुशलेन्द्र श्रीवास्तव नवरात्र तो आत्म जाग्रति का पर्व है । हर छैः माह बाद नवरात्रि पर हम माॅ की आराधना कर दुष्टों के संहार की प्रार्थना करते हैं । श्रद्धा, भक्ति से प्राप्त शक्ति हमें आगे बढ़ने की दिशा देती है । आज समूचे विश्व को ऐसी श्क्ति की आवश्यकता महसूस हो रही है ।…