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बेटियों पर अत्याचार : कुशलेन्द्र श्रीवास्तव

बेटियों पर बढ़ती दरिंदगी, आखिर समाज को हो क्या गया है ? यह प्रष्न तो अब स्वाभाविक रूप् से सामने आने लगा है । व्यक्ति इतना दरिंदा भी हो सकता  है ? समाज के इस घिनौने रूप् की कभी कल्पना भी किसी न की होगी । एक के बाद एक घटनायें घटती जा रही हैं…

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“एक थी शान्ता”काव्य-कृति का विमोचन

भारतीय साहित्य-कला परिषद् नयी दिल्ली के तत्वावधान में ‘अभी तक क्राइम टाइम’ सप्ताहिक समाचार पत्र, शाहदरा, दिल्ली के  कार्यालय  में 20 अगस्त 2024  को यशस्वी सम्पादक राजेन्द्र गुप्त की अध्यक्षता में हिन्दी के वरिष्ठ साहित्यकार डॉ.राहुल  की सद्यः प्रकाशित पुस्तक”एक थी शान्ता”(खण्ड-काव्य) का विमोचन सम्पन्न हुआ।माननीय अध्यक्ष ने अपने उद्बोदन में कहा कि,रामायण की कथा-श्रृंखला…

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गंतव्य संस्थान द्वारा 78 वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर तुलसी के पौधे वितरित किए गए।

स्वतंत्रता दिवस के शुभ अवसर पर गंतव्य संस्थान द्वारा तुलसी के पौधे वितरित किए गए इस अवसर पर रोहिणी , पीतमपुरा , बुराड़ी , निरंकारी कालोनी व धीरपुर में करीब एक हजार पौधों को वितरित किया गया ।उल्लेखनीय है कि जन जागृति मिशन द्वारा रामदास कुटी धीरपुर में राष्ट्रीय ध्वजारोहण का कार्यक्रम भी आयोजित किया…

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‘इस देश को रखना मेरे बच्चो संभाल के’ (सम्पादकीय)

आप सभी को 78वें स्वतंत्रता दिवस की बधाई एवं अनन्त शुभकामनाएं। लालकिले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने 11वीं बार देश का तिरंगा लहराया और बहुत विस्तार से अपना सम्बोधन देशवासियों को समर्पित किया। जश्ने आजादी के कार्यक्रम सरकारी तौर पर, केन्द्रीय, राज्य स्तर पर सभी विभाग अपने-अपने स्तर पर आयोजित करते हैं।…

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आजादी के सही मायने, संसद में हंगामा करने वालों से समझिए.

पंकज सीबी मिश्रा, राजनीतिक विश्लेषक एवं पत्रकार जौनपुर यूपी             स्वतंत्रता दिवस हर वर्ष मनाते है और प्रतिवर्ष एक नई स्वतंत्रता खुद के लिए जोड़ लेते है। इस वर्ष भी एक स्वतंत्रता हमने बड़ी सरलता से प्राप्त कर ली और वह है संसद में हंगामा करना और सिटिंग चेयर पर्सन को अपमानित करना। इस प्रकार…

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राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे का रोचक इतिहास : लाल बिहारी लाल

आजादी की पहली मांग सन् 1857 ईस्वी में पुरजोर तरीके से उठी उसी समय राष्ट्र के ध्वज बनाने की योजना बनी परंतु पहले स्वतंत्रता संघर्ष के परिणाम को देखकर झंडे की मांग बीच में ही अटक गई । वर्तमान स्वरूप में विद्यमान झंडा कई चरणों से होकर गुजरा है । प्रथम चित्रित ध्वज स्वामी विवेकानंद…

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जनगण मन अधिनायक जय है…. !

— कुशलेन्द्र श्रीवास्तव सूरज की उदित होती किरणों के साथ लहर लहर लहरा रहा है हमारा तिरंगा……..हम हुए थे स्वतंत्र 15 अगस्त 1947 को इसे याद दिलाने के लिए । वैसे भी हम भारतवासी कहां विस्मृत कर पाते हैं आजादी की लड़ाई को और अंग्रेजों की तानाषाही को । हर पल याद रहता है हमें…

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मेरा मन

छाया चंहुं ओर अंधेरा है  जन-जन को भय ने घेरा है  धुआं धुआं सा तन मेरा धधक रहा है मेरा मन। माता की छाती छलनी है पापा की पगड़ी उछली है राक्षसों ने नोच-नोच खाया कह रहा भारत मां का क्रंदन। रोता है मेरा रोम रोम चीत्कार करें पृथ्वी व्योम हे धरती मां तू फिर…

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स्वतंत्रता दिवस का जश्न –  स्वतंत्र कौन ?

जनता या चोर (शासन-प्रशासन का विशेष ध्यानाकर्षण) आज के दिन यह शीर्षक पढ़कर थोड़ा अजीब अवश्य लगेगा किन्तु पत्रकार का धर्म है कि सत्य को सामने रखे। जी हाँ, दिल्ली की बात करें विशेषकर लाजवंती गार्डन, नई दिल्ली-110046 की जिसमें गली नम्बर 8 में 5 जून को दिन दहाड़े चोरी की घटना घटित होती है।…

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सुख और आनन्द

दिनांक—10-7-2024 , टाइम्स आफ इंडिया,-द स्पीकिंग ट्री में एक आर्टिकल पढ़ा -It is easy to invite joy in your life.यह विशुद्ध अनुभूत उस खुशी की बातें करता हुआ सा प्रतीत हुआ जो मानव मन की  वह अवस्था है जिसे मुदितावस्था कहते हैं और जिसे अक्सर हृदय की संकीर्ण भावनाओं के तहत ,सांसारिक हानि लाभ, ईर्ष्या…

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