डॉक्टर सुधीर सिंह जी (पूर्व प्राचार्य एवं विभागाध्यक्ष – रामाधीन विश्वविद्यालय ) शेखपुरा, बिहार
महान ‘मनमोहन’ की अंतिम विदाई से,
एक-एक हिन्दुस्तानी आज गमगीन है।
इसी को हम कहते हैंआत्मा की पुकार,
जिसे अनसुनी कर देना नामुमकिन है।
सम्मान के रूप में परमात्मा की प्रेरणा,
सबों की सोच में समाहित हो जाती है।
जिनकी सुकीर्ति का ऋण है राष्ट्र पर,
अश्रुजल से अदायगी करनी पड़ती है।
जिनके व्यक्तित्व ने सबका मन मोहा है,
उस महामानव को कोटि-कोटि नमन।
विधाता से सबलोगो की यही विनती है,
उनकी आत्मा को शान्ति देना भगवन!
जानेवाले युगपुरुष पदचिन्ह छोड़ जाते,
जिसपर सभ्य-समाज चलता रहता है।
यही तो उनकी ऐतिहासिक पहचान है,
जिसका गुणगान हमेशा होता रहता है।