June 2024
वेकोलि एवं नराकास (का-2) के सयुंक्त तत्वावधान में राजभाषा कार्यशाला का आयोजन
सीएमडी ने किया “नमामि स्वतंत्रता सेनानी” पुस्तक का विमोचन वेस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (वेकोलि) मुख्यालय तथा नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति (नराकास) कार्यालय-2, नागपुर के सयुंक्त तत्वावधान में 07 जून 2024 को “राजभाषा कार्यशाला” का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ अध्यक्ष-सह-प्रबंध निदेशक श्री जे पी द्विवेदी, निदेशक तकनीकी (संचालन तथा योजना/परियोजना) श्री ए के सिंह तथा…
तितली के पंख : अरुण कुमार शर्मा
क्या, तितली के पंख को तुमने, हाथ लगा कर देखा है , जिसपर वो मंडराती है, उस फल को खाते देखा है ! क्या देखी है “अरुण” कभी, तनहाई सूरज की बोलो , क्या तुमने रवि की किरणों को, पास से जाकर देखा है! चंदा हँसता है खिलकर, और तारे मुसकाते तो हैं , मुझे…
नाटिका : “मिच्छामी दुक्कडम”
पात्र परिचय_: 1_ नव्या एक स्कूल गर्ल।उम्र 17 वर्ष 2_ नीलू कॉलेज गर्ल उम्र 18 वर्ष 3_झलक कॉलेज बॉय उम्र 20 वर्ष 4_ मां उम्र 50 वर्ष 5 _पिता उम्र 54 वर्ष 6 _नाना जी (बूढ़े आदमी साधु यानी भिक्षु वेश में) उम्र 75 वर्ष 7_ नानी जी (बूढ़ी महिला साध्वी वेश में श्वेतांबरी सफेद…
पत्नी अपने पति को बहुत प्यार से कहती है
जैसे शिव जी पार्वती के बिना अधूरे विष्णु जी लक्ष्मी के बिना अधूरे ठीक वैसे ही हर पति बिना पत्नी के अधूरे “लड़की “इज्जत माता पिता के घर की “लड़की “ सिर का ताज ससुराल की नारी “ आन बान शान परिवार की शादी के बाद कुछ यूँ कहती अपने पति से “ माँग मेरी…
क्यों संदिग्ध है अकादमी पुरस्कारों की वार्षिक गतिविधियां ?
पिछले दशकों में पुरस्कारों की बंदर बांट कथित साहित्यकारों, कलाकारों और अपने लोगों को प्रस्तुत करने के लिए विशेष साहित्यकार, पुरोधा कलाकार, साहित्य ऋषि जैसी कई श्रेणियां बनी है। जिसके तहत विभिन्न अकादमियां एक दूसरे के अध्यक्षों को पुरस्कृत कर रही है और निर्णायकों को भी सम्मान दिलवा रही है। इन पुरस्कारों में पारदर्शिता का…
व्यंग्य – थप्पड़ खाकर उबरे नेता, मानुष, चून…….
पंकज सी बी मिश्रा, राजनीतिक विश्लेषक एवं पत्रकार जौनपुर राजनीति में थप्पड़ खाना कभी कभी जरुरी हो जाता है। ये अलग बात है कि कभी थप्पड़ आप खुद आर्गेनाइज करवाते है और कभी कभी यह विपक्ष आर्गेनाइज करा के देता है या फिर कभी कभी देश के होनहार भगत सिंह टाइप के युवा सधे…