कविता और कहानी
मैं शिव तो नहीं : महेंद्र शर्मा (हास्य कवि)
मैं शिव तो नहीं, जो पी जाऊं गम के हलाहल को। आंसुओं का अथाह सागर क्या कभी सूख पाएगा? कहने को सभी कहते हैं-दुख के पश्चात् सुख मिलता है, प्रत्येक रात प्रभात के समझ दम तोड़ देती है। रामायण में तुलसीदास ने लिख दिया है, ‘सब दिन होत न एक समाना। मैं नहीं मानता इस…
मतदान का त्योहार
भारत के लोकतंत्र को मजबूत कीजिए, इतनी सी गुजारिश है मतदान कीजिए। मतदाता जागरूकता अभियान है जारी, मतदाता हो मतदान में भी भाग लीजिए। मतदान केंद्र कर रहा प्रतीक्षा आपकी, अपने मताधिकार का उपयोग कीजिए। भारत के संविधान ने अधिकार दिया है, मतदान का त्योहार है मतदान कीजिए। भारत का प्रजातंत्र विश्व भर में श्रेष्ठ…
कॉफी की खोज : लक्ष्मी कानोडिया
कॉफी का एक कप हमें ताजगी, स्फूर्ति और शक्ति देता है। यह खुशबूदार सुगंध मेरा दिन बना देती है। कॉफी एक गर्म और ठंडा पेय पदार्थ है और इससे जिनमें किसी भी समय लिया जा सकता है। इसमें कैफीन काफी मात्रा में पाया जाता है। सुबह आराम करते हुए जब मैंने कॉपी भी…
भीमराव आंबेडकर
भीमराव महान, बने संविधान निर्माता। जनक संविधान के, देश भाग्यविधाता। दिया गणराज्य हमें, नया भारतबनाया। बने सर्वेसर्वा हम, नया कानून बनाया।। स्त्री पुरुष में भेद नहीं, सम अधिकार दिलाया । दी समानता की शिक्षा, ज्ञान प्रकाश फैलाया। दलित, शोषित,पिछड़ों खातिर जी जान लगाई। एकता का पाठ पढ़ाया ,नई पहचान कराई।। “शिक्षा” शेरनी का दूध, जो…
प्रिये नव सम्वत्सर बन आना
सभी मौसम सभी ऋतुओं को संग ले आना।प्रिये नव संवतसर बन के मेरे घर आना। सरसों के फूल बन के यादें तेरी आतीं हैं।मुझसे गेहूॅं की बालियों सी लिपट जातीं हैं। अपनी यादों के संग एक बार आ जाना,प्रिये नव संवतसर बन के मेरे घर आना।सभी मौसम सभी ऋतुओं को संग ले आना। जब भी…
कमी अपनी परवरिश में
मालती ने आज पूरा घर फिर सर पर उठा रखा था। ससुर जी के खत्म हो जाने के पश्चात यह अब आम बात हो गई थी। मालती की सास दयावती खून का घूंट भरकर रह जाती। मालती अपनी छोटी बहन को पढ़ाई करने के लिए अपने साथ रहना चाहती थी लेकिन घर पर जगह उपलब्ध…
होली महापर्व
विधा:-विधाता छंद मनाते होलिका मन से, सभी त्यौहार से बढ़कर। बनें पकवान पूजा के, गुलरियों माल घर रख कर। बड़ी होली रखें गावों, लकडियाँ बीच में रख कर। सुहाना फाल्गुन महीना, मनाते पूर्णिमा तिथि पर॥ जलाते पूजकर होली, सभी जन फाग गाते हैं। जलाने घर रखी होली, वहीं से आग लाते है। नये गेंहू भुजीं…
फागुन का ये मौसम है
बृज छोड़ के मत जइयो,फागुन का ये मौसम है,मोहि और न तरसइयोफागुन का ये मौसम है। मैं जानती हूं जमुना तीर काहे तू आए,हम गोपियों के मन को कान्हा काहे चुराए, जा लौट के घर जाइयो,माखन चुराके खाइयो,पर चीर ना चुरइयो,फागुन का ये मौसम है। इस प्यार भरे गीत के छंदों की कसम है,तोहि नाचते…