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उत्कर्ष मेल 16-30 अप्रैल (सम्पादकीय )

उत्कर्ष मेल (राष्ट्रिय पाक्षिक पत्र) 16-30 अप्रैल (सम्पादकीय )14 अप्रैल को अम्बेडकर जयंती के विशाल कार्यक्रम -राष्ट्रीय-प्रादेशिक एवं जिला स्तर पर सरकारी, गैरसरकारी तथा समितियों द्वारा आयोजित किए गये, जिनमें पार्टी बाजी से इतर सबने मिलजुल कर संविधान निर्माण में अहम भूमिका अदा करने वाले डॉ. भीमराव अम्बेडकर जी को नमन-वंदन करते हुए ठोस लोकतन्त्र…

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भारत में वैदिक कालीन शिक्षा पद्धति

डॉ ज्योत्स्ना शर्मा संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार (मो.)- 9810424170 @ j.shriji@gmail.com शिक्षा समाज और मानव विकास की आधारशिला है। जब मानव जाति के लिए शिक्षा शब्द का प्रयोग किया जाता है तब उसका अर्थ विवेक से लिया गया यानी मनुष्य की वह स्थिति जिसके अंतर्गत उसमें अंतर्निहित शक्तियों का निरंतर विकास होता है तथा उसके…

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(अंबेडकर जयंती विशेष)

“लोकतांत्रिक भारत: हमारा कर्तव्य, हमारी जिम्मेवारी” जनतंत्र की जान: सजग नागरिक और सतत भागीदारी लोकतंत्र केवल अधिकारों का मंच नहीं, बल्कि नागरिकों के कर्तव्यों और जिम्मेदारियों का साझेधार भी है। भारत जैसे विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र में नागरिकों की भूमिका केवल वोट देने तक सीमित नहीं होनी चाहिए। उन्हें न्याय, समानता, संवाद, स्वच्छता, कर…

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अन्य जातियों के आंदोलन से सीखने की जरूरत , सवर्णों की निजी राजनीतिक लिप्सा पतन का कारण

पंकज सीबी मिश्रा / राजनीतिक विश्लेषक एवं पत्रकार जौनपुर यूपी  ब्राह्मण  संगठनों को भी आगरा राजपूताना आंदोलन से सीखना चाहिए कि अपने जाति के अधिकारों और सम्मान के प्रति जागरूकता कितनी आवश्यक है ! आन्दोलन का मतलब किसी का अपमान अथवा तोड़फोड़ नहीं  अपितु आगामी पीढ़ियों के भविष्य को सुरक्षित रखने की लड़ाई लड़ना है…

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राज्यपाल को राह दिखाई कोर्ट ने

राजनीतिक सफरनामा          राज्यपाल को राह दिखाई कोर्ट ने                                                                                                     कुशलेन्द्र श्रीवास्तव माननीय सर्वोच्च न्यायालय का एक फैसला इन दिनों चर्चाओं में हैं । ‘‘राज्यपाल किसी पार्टी के प्रतिनिधि के प्रतिनिधि नहीं बन सकते’’ इस सख्त टिप्पणी के बहुत गहरे मायने हैं । तमिलनाडु सरकार द्वारा वहां के गवर्नर द्वारा विधानसभा में पारित प्रस्तावों को…

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हर दिल अजीज मनोज कुमार को शत-शत नमन..!

तरीका यह है कि सिनेमा, खासकर बॉलीवुड ने इसे अलग-अलग युगों में कैसे परिभाषित किया है। 87 साल की उम्र में “भारत” मनोज कुमार (जन्म हरिकृष्ण गिरि गोस्वामी, 24 जुलाई, 1937) का निधन हमें सोचने का मौका देता है। उन्होंने किसी भी अन्य अभिनेता से ज़्यादा देशभक्ति, राष्ट्रवाद, अच्छी नागरिकता, वैध जीवन और एक सद्गुणी…

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क्या सचमुच सिमट रही है दामन की प्रतिष्ठा?

समय के साथ परिधान और समाज की सोच में बदलाव आया है। पहले “दामन” केवल वस्त्र का टुकड़ा नहीं, बल्कि मर्यादा और संस्कृति का प्रतीक माना जाता था। पारंपरिक वस्त्रों—साड़ी, घाघरा, अनारकली—को महिलाओं की गरिमा से जोड़ा जाता था। “दामन की प्रतिष्ठा” अब भी बनी हुई है, परंतु उसकी परिभाषा बदल चुकी है। परंपरा और…

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अश्लील और कानफोड़ू गानों से करें परहेज

शादी एक पवित्र और भावनात्मक अवसर होती है, जिसमें दो परिवारों का मिलन होता है। इस अवसर पर संगीत का चयन केवल मनोरंजन तक सीमित नहीं होना चाहिए, बल्कि यह हमारे मूल्यों, रिश्तों और भावनाओं का भी सम्मान करना चाहिए। शादी में बजने वाले गाने रिश्तों की गरिमा, परिवार की भावनाओं और संस्कृति को भी…

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ग्लानि

सानिया अपनी बेटी की पढ़ाई को लेकर बहुत ही सजग रहती। छोटी सी जान उसके पीछे पड़ी ही रहती सानिया। 12 वर्षीय अनिका सारे दिन किताबों में घिरी रहती। ट्यूशन में अगर टीचर छुट्टी कर लेती तो बबाल मचा देती सानिया। काम वाली बाई का भी एक-एक दिन का हिसाब गिन कर रखती क्योंकि सुघण…

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नवरात्रि विशेष : असुर मारि थापहिं सुरन्ह, राखहिं निज श्रुति सेतु

पंकज सीबी मिश्रा  / राजनीतिक विश्लेषक एवं पत्रकार जौनपुर सनातन में चैत्र नवरात्रि को सबसे महत्वपूर्ण माना गया है, क्योंकि इस अवधि में पूजा-पाठ के साथ-साथ सुख-समृद्धि के लिए विशेष उपाय किए जाते हैं। पौराणिक कथा के मुताबिक वर्ष भर में पढ़ने वाले चारों नवरात्रि में देवी का आगमन पृथ्वी लोक पर होता है, चार…

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