बाबू जी की स्मृति में.. (कविता-6)
बाबू जी की याद बहुत ही आती हैं स्मृतियों की विपुल राशि संग लाती है… बचपन की धुंधली तश्वीरें जुड़ करके जीवन की आपा-धापी से मुड़ करके नयनों से चुपचाप उतर कर अन्तस् में लगता जैसे पास मुझे वह बुलाती है…. बाबू जी की याद बहुत ही आती है स्मृतियों की विपुल…