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बच्चों का प्यार

इंद्रधनुषी रंगों से रंग देते हैं वो अपने प्यार को कोरे कागज पर। कितने मासूम होते हैं वो फिदा हो जाता हूं मैं इस आदत पर। क्या मैं इतना मासूम बन सकता हूं सोचता रहता हूं मैं तन्हाई में इतनी परत काम ,क्रोध,लोभ,मोह की चढ़ी है वक्त लगेगा हटाने में। काश मेरा बचपन फिर से…

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विवेक जौहरी बने BSF के महानिदेशक

भारतीय पुलिस सेवा के 1984 बैच के मध्य प्रदेश कैडर के अधिकारी विवेक कुमार जौहरी ने सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के महानिदेशक का कार्यभार संभाल लिया। उन्होंने  भोपाल से इंजीनियरिंग स्नातक किया है और वे बीएसएफ के 25वें महानिदेशक हैं। इससे पहले वह अनुसंधान और विश्लेषण शाखा (रॉ) में विशेष सचिव के पद पर थे।…

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।। कुछ करते क्यों नहीं ।।

जनसंख्या विस्फोट को कंट्रोल करते क्यों नहीं हैं, मिल सारे नेता ऐसा कोई कानून गढ़ते क्यों नहीं हैं। प्रकृति भी देगी किसी दिन धोखा डरते क्यों नहीं हैं, हम दो हमारे दो का नारा ये सच करते क्यों नहीं हैं। कहीं अकाल सदियों से तो कहीं बरस रहा पानी। आया बुढ़ापा पता ना चला कब…

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अभिव्यक्ति संस्था ने चतुर्थ वार्षिकोत्सव धूमधाम से मनाया एक साथ 4 पुस्तकों का लोकार्पण

अभिव्यक्ति साहित्यिक संस्था ने रविवार 25 अगस्त 2019 को हिंदी भवन आई टी ओ, दिल्ली में अपनी संस्था का चतुर्थ वार्षिकोत्सव मनाया जिसमे संस्था के सभी सम्मानित सदस्यों को सम्मानित किया गया . कार्यक्रम के आरम्भ में अतिथियों का स्वागत पुष्प गुच्छ एवं अंग वस्त्र द्वारा किया गया और माँ सरस्वती की वंदना एवं पुष्प…

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बाल कविता – शरारती चिम्पू

एक मदारी का बंदर था चिम्पू, रोज उछल कूद बहुत मचाता। अपनी शैतानी पर खूब इठलाता, एक रोज चिम्पू हो गया आजाद। मदारी को छोड़ जंगल जा पहुचा, मोबाइल मदारी का है उसके पास। सब जंगल के जानवरों को दिखाता, अपना  रोब  उन  पर  खूब  जमाता। सबका  दिल  मोबाइल  पर  आया, जंगल का राजा आया…

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उत्तराखण्ड के पहाड़ अब दरक रहे है़

उत्तराखण्ड के पहाड़ अब दरक रहे है़ टूट कर धीरे धीरे खिसक कर सरक रहे है़ ! टूट कर चूर हो रहा है़ अब उत्तराखण्ड का सीना मुश्किल होता जा रहा है़ अब पहाडो मे जीना ! जगह जगह उत्तराखण्ड मे आपदाएँ मुँह पसारे है़ , पहाडो मे प्रसिध्द अलकनन्दा मंदाकिनी दो धारे है़ !…

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जन मानस के हृदय में निस्वार्थ प्रेम उगा पाएँ राष्ट्र निर्माण में कुछ एैसा योगदान कर जाएँ

नवम माह नवीन सृजन के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है,तो क्यूँ न इस वर्ष के नौंवे महीने में अपने अँदर के शैशव की मासूमियत को जागृत कर के निस्वार्थता को सृजित किया जाए,और एक मज़बूत राष्ट्र के निर्माण में अपना सहयोग देने के लिए सबसे पहले अपने ही अहम को दफ़ना कर खुद…

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कविता- टेढ़ी लुगाई

का कयें बैना बनत ना कैवो अब तो  मुश्किल है दुख सैवो बड़ी कुलच्छन बहुआ आयी रोज रोज ही लड़े लड़ाई एक दिन बा उठत भोर सै रोन लगी बा जोर जोर सै कैन लगी मैं मायके जैहों ई घर में एक दिन ना रैहों मैनें कई का बात बताओ कीने का कई हमें सुनाओ…

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रेशमा

              रेशमा एक बहुत ही सीधी-सादी लड़की थी । जहां उसके साथ की लड़कियां फ़ैशन ,टीवी और मोबाइल में लगी रहती थी वहीं वह उम्र से पहले ही बड़ी हो चुकी थी। रेशमा का पिता शराबी था वह दर्जी का काम किया करता था परन्तु सारी की सारी कमाई अय्याशी और शराब पर लुटा दिया…

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बुजुर्ग की झोली में खुशियां भर दीजिए

बुजुर्ग की झोली में खुशियां भर दीजिए बुजुर्ग की यादाश्त कमजोर हो जाती है, बेचारे से  अक्सर  गलतियां हो जाती हैं. बेवजह  उन्हें  उलहना  सुनना पड़ता है, जिल्लत की जिंदगी  ढोनी पड़ जाती है. दिल की बात कहें  तो वे  किससे  कहें? कोई भी हमदर्द उनकेआसपास नहीं है इसलिएअकेले में वे चुपके से रो लेते…

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