सोमवार यानि 22 जनवरी 2024 को ना केवल देश बल्कि संपूर्ण विश्व एक ऐसी अद्भुत घटना का साक्षी बनेगा जिसके लिये हिन्दुओं ने कई शताब्दी संघर्ष किया, बलिदान दिया, अपना तन मन धन सब न्यौछावर कर दिया, अपने ही देश में अपने ही आराध्य के मंदिर के लिये हिन्दुओं को क्या क्या दुःख, अपमान नहीं झेलना पड़े। इस समय ना केवल भारत बल्कि संपूर्ण विश्व राममय हो चला है, लोगों की कॉलर ट्यून से लेकर रिंगटोन तक, डीपी से लेकर स्टेटस तक सब राममय हो गए हैं, क्या बच्चे, क्या बड़े, गाँव गाँव, शहर शहर प्रभात फेरियाँ निकल रही हैं, लोगों ने अब नमस्कार, हैलो की बजाय ‘जय श्रीराम’ बोलना आरंभ कर दिया है। दूकानों पर भगवा पताकाएँ सज गई हैं, लोगों में 22 जनवरी को लेकर अभूतपूर्व उत्साह है, हर कोई बस प्रभु आगमन के दिन गिन रहा है और स्वयं को इस अद्भुत दिन को,क्षणों को अपने नेत्रों में सदैव के लिए सजाने को आतुर है। कोई अयोध्याजी से आई अक्षत पाकर ही भावुक हुआ जा रहा है, स्वयं को भाग्यशाली मान रहा है, कोई गायों का शुद्ध देसी घी लेकर जा रहा है, तो कोई विशालकाय ताला बनाकर भेज रहा है, तो कोई विशालकाय अगरबत्ती बनाकर भेज रहा है, तो कोई अकेला ही हज़ारों किलोमीटर पैदल चल पड़ा है अर्थात् जिससे जो बन पा रहा है वो अपना योगदान देने में लगा है।
राम मंदिर न्यास ने देश विदेश की अनेक हस्तियों को निमंत्रण दिया, अधिकांश लोग इस निमंत्रण को पाकर स्वयं को धन्य समझ रहे हैं तो कई ऐसे अभागे भी हैं जिन्होंने इस पुनीत आमंत्रण को ठुकरा दिया है। ठुकराने वाले लोग वही हैं जिन्होंने वर्षों तक राम जी के मंदिर निर्माण में अड़ंगे लगाए, रामजी को तम्बू में रखा, राम मंदिर पर कभी निर्णय ना आ पाए इसके लिये सारे हथकंडे अपनाये, रामजी को काल्पनिक बताया, रामसेतु को तोड़ने तक की तैयारी कर ली गई थी, इनका उद्देश्य केवल हिन्दुओं को अपमानित करने, रामजी को सदैव तम्बू में रखने और अपने तथाकथित वोटबैंक को खुश रखने के सिवाय कुछ नहीं था। भाजपा एकमात्र ऐसा राजनीतिक दल था जिसके घोषणापत्र में राम मंदिर निर्माण का संकल्प था और ये सभी जानते हैं कि जिसके हाथ में सत्ता की चाभी होती है उसी की तूती बोलती है, इसलिये जब तक सत्ता कांग्रेस जैसी देशद्रोही हिन्दू विरोधी पार्टी के पास रही राम मंदिर का निर्णय कभी नहीं आ पाया परंतु सत्ता नरेंद्र मोदी जैसे व्यक्ति के हाथ में आई तो उनके पहले ही कार्यकाल में राम मंदिर का निर्णय हिन्दुओं के पक्ष में आ गया। जब भाजपा ने नारा दिया “मंदिर वहीं बनाएंगे” तब आज का सारा विपक्ष और इनके समर्थक भाजपा और उसके समर्थकों पर तंज कसते थे “मंदिर वहीं बनाएँगे, परंतु तारीख़ नहीं बताएँगे” और ये तंज वो कसते थे जो राम मंदिर का निर्णय कभी ना आने पाए इसके लिये सत्ता का दुरूपयोग करने से कभी पीछे नहीं हटे। आज विपक्ष इस राम मंदिर के उद्घाटन को भाजपा का कार्यक्रम बताकर इससे दूरी बना रहा है क्योंकि विपक्ष जानता है कि राम मंदिर निर्माण की इस प्रचंड लहर में वो आगामी लोकसभा चुनावों में तिनके की भांति उड़ जाने वाला है। विपक्ष का गठबंधन ठीक से बन भी नहीं पाया था कि उसके नेताओं में इतनी फूट पड़ी कि सारा घड़ा ही फूट गया है, विपक्ष लाचार है, बेबस है, यही लाचारी, यही बेबसी हिन्दुओं ने वर्षों तक झेली है जब सत्ता के मद में डूबी कांग्रेस, गाँधी परिवार ने रामजी को तम्बू में रहने को विवश किया जबकि स्वयं अरबों खरबों की संपत्ति अर्जित करते रहे। रामजी को भी सही उत्तराधिकारियों के आने की प्रतीक्षा थी इसलिए उन्होंने भी वनवास की तरह तम्बू निवास को स्वीकार किया और जब केंद्र और राज्य में दोनों ही जगह सही उत्तराधिकारियों के हाथों में सत्ता सौंपी तब स्वयं ही सारे मार्ग सुगम करते चले गए। कार्यक्रम राम मंदिर न्यास की तरफ से आयोजित है, प्रधानमंत्री देश के प्रधान होने के कारण आमंत्रित हैं, मुख्य अतिथि हैं, भूमि पूजन में भी वो सम्मिलित रहे थे। उनके स्वयं के चाहने से ये सब होना असंभव था यदि प्रभु की कृपा उन पर नहीं होती या उन्हें प्रभु ने नहीं चुना होता। आज विपक्ष चीख रहा है कि भाजपा इसका श्रेय क्यों ले रही है तो विपक्ष से भी यही प्रश्न है कि आपके पास तो कहीं अधिक अवसर और समय था श्रेय लेने का लेकिन आपने तो प्रभु को तम्बू में रखने का निर्णय लिया हुआ था, तंज भी इसी भाजपा पर कसते थे तो आज इसका श्रेय भी भाजपा क्यों ना ले.? करोड़ों रुपयों के हज हाउस बनाने वाले, करोड़ों रुपयों की बरसों तक हज सब्सिडी देने वाले, वक़्फ़ बोर्ड को देश की बहुत बड़ी संपत्ति उपहार स्वरुप देनेवाले आज कह रहे हैं कि मंदिर की बजाय वहाँ अस्पताल बनाते तो ज़्यादा सही होता। अस्पताल तो देश में हज़ारों लाखों हैं, आयुष्मान भारत योजना में करोड़ों ग़रीब परिवारों का इलाज भी हुआ है, हो रहा है लेकिन राम मंदिर देश और हिंदुत्व की दशा और दिशा बदलने वाला ना। केवल देश भर से बल्कि विदेशों से सदियों तक लोग प्रभु श्रीराम, माता जानकी, लक्ष्मण जी और हनुमान जी के दर्शन करने आएँगे, अयोध्या जी और उसके आसपास के इलाके कितने संपन्न और सुखी हो जायेंगे इसकी कल्पना करना कठिन नहीं है, ये एक मंदिर जानें कितने लोगों को प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से रोज़गार देगा, अच्छी जीवनशैली, अच्छी शिक्षा देगा। कलयुग में इस भव्य राम मंदिर के उद्घाटन का साक्षी बनना जहाँ हमारे भाग्यशाली होने का प्रतीक है वहीं इस पर विलाप करने वाले कितने अभागे हैं ये भी हम देख पा रहे हैं। राम को काल्पनिक बताने वाले उन्हें अप्रासंगिक बनाने वाले अब स्वयं ही अप्रासंगिक हो चले हैं, अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं, प्रभु के साथ छल कपट के परिणाम तो भुगतने ही होंगे। आखिर होई वही जो राम रचि राखा !! मेरी झोपड़ी के भाग अब खुल जाएँगे, राम आयेंगे!
___ पंकज कुमार मिश्रा, मिडिया विश्लेषक एवं पत्रकार जौनपुर यूपी