पिता (कविता-10)
इस संसार में आकर ,हमनें पिता को शीश नवाया हैं। हमारे रूप को देखकर ,पिता ने अपने रूप को हममें देखा हैं।। जब हम हँसते मुस्कराते हैं ,पिता ने हममें अपनी मुस्कान को पाया हैं। जब हम व्याकुल दुखी होते हैं, पिता ने भी हमारे सभी दुखो को समेटा हैं।। माता ने पिता को पाकर…