हम महिलाओं को अपने अधिकारों के लिए आवाज़ स्वयं उठानी है न कि मध्य संस्कृति में नारी के सम्मान को बहुत महत्व दिया गया है माँ अर्थात वार्ता के रूप में नारी की धरती पर अपने सबसे पवित्रतम रूप में है न कि नारी को ईश्वर ने जन्मदात्री के रूप में उतारा है नारी ही वो शक्ति हैं जो पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर अपना समय बिताती जा रही है अब तो और पुरुषों से अधिक ज़िम्मेदारियों का निर्वहन भी करती है नारी इस तरह से भी सामान्य है परिवार के प्रति नारी का यह त्याग उन्हें सम्मान का अधिकारी बनाता है
सशक्त नारी से ही बनेगा सशक्त समाज महिलाओं को दे शिक्षा का उजियारा होड़ लेकर करे रौशन जग सारा आज हूँ कि नारी ने यह साबित कर दिया कि वो किसी भी क्षेत्र में पुरुषों से कम नहीं है वह उन्होंने परिवार चलाने से लेकर देश चलाने में भी आगे रही है सभी परिवार में नारी सम्माननीय हैं हमें उनका सम्मान करना चाहिए जिसकी वो हक़दार हैं
मैं ही हूँ आज के युग की नारी
सोच समझकर परिवार चलाती
हर उलझे विषय को सुलझाती
बात मानती ससुराल की
मैं ही बहू मैं ही पत्नी
मैं ही प्रेमिका मैं ही गुरु
मैं ही बेटी कहलाती
बनकर दुर्गा शत्रुओं का नाश करती
काली बनकर देश बचाती
नहीं डरूँगी ,डटी रहूँगी
अत्याचार अब नहीं सहूँगी
मुश्किलों से कभी ना हारी
हां मैं हूँ आज के युग की नारी
अब बात है बराबरी की
मैं ही हूँ आज के युग की नारी
सीमा शर्मा राष्ट्रीय अध्यक्ष,
लक्ष्मी बाई प्रशिक्षण संस्थान