कुशलेन्द्र श्रीवास्तव
भला ऐसा सोच भी कौन सकता है कि दिल्ली बाढ़ के पानी में डूब जायेगी । दिल्ली तो हमारे देश की राजधानी है और जाहिर है कि राजधानी को विश्वस्तरीय दर्जा मिला हुआ है,उसका सारा विकास ऐसे ही मापदण्डों के आधार पर किया जाता है, पर फिर भी दिल्ली डूब गई और गर्व से बता रहे हैं कि ऐसा 45 साल बाद फिर हुआ है, याने हमने पैंतालीस साल पहले जो कष्ट भोगा उससे कुछ ज्ञान नहीं लिया और फिर से पैंतालीस साल जैसी कहानी न दोहराई जाए इसके प्रयास नहीं किए तब ही तो पैंतालीस साल बाद फिर से दिल्ली डूब गई । यह जरूर रहा होगा कि पैंतालीस साल पहले दिल्ली की आबादी कम होगी, सड़कंे कम होगीं और उन पर दौड़ने वाले वाहन भी कम होगें, बिल्डिंगे कम होगीं पर अब तो दिल्ली में इन सारी परिस्थितियों का जाल सा बिछ चुका है । कोने-कोने में मकान बन गए हैं औ छोटे-छोटे हाथों में वाहन आ गए हैं । विकसित तो हुई है दिल्ली पर ऐसी विकसित नहीं हो पाई कि यमुना का पानी मुख्य सड़कों में प्रवेश न कर पाये, लोगों के घरों में न घुस पाए । दिल्ल्ी बहुत व्यस्त शहर है, यहां न तो गाड़ियों के पहिए थमते हैं और न ही सड़कों की भीड़ कम होती है । पर बाढ़ ने सारी दिल्ल्ी को अस्त-व्यस्त कर दिया । लोग अपने सिरों पर अटैची लेकर अपना घर बरसात के हवाले करते हुए निकलते दिखाई दे रहे हैं । हरियाणा से छोड़ा गया हथिनीकुड का पानी यमुना नदी को लबालब करते हुए शहर की सड़कों को जाम कर गया, किसी ट्रंेफिक वाले की हिम्मत नहीं कि वो आवारागर्दी करते इस पानी को लालबत्ती का डर दिखाकर रोक सके । दिल्ल्ीवासी परेशान हैं, सब कुछ लुट रहा है इस पानी में । केवल दिल्ली ही नहीं देश के अन्य राज्यों में भी कहर बरपा रही है बरसात । हिमाचल प्रदेश भी बहुत हैरान है। बरसात शुरू होते ही हिमाचल में बरसात ने कहर बरपा दिया । प्रदेश के कई जिलों में हाहाकार मचा हुआ है । पहाड दरक रहे हैं और सैलानी फंसे हुए हैं । वैसे तो बरसात का मौसम आयेगा तो बरसात तो होगी ही, पर कितनी बरसात होगी इसका मापदंझ तैयार नहीं हो पाता । वैसे भी बरसात को रोक पाना किसी के वश में है ही कहां । देश के कुछ अन्य राज्य भी हाहाकार कर रहे हैं । अभी तो यह अंगड़ाई आगे और लड़ाई है । बरसात को तो अभी बहुत सारे दिनों तक अपनी उपस्थिति दर्ज कराना है आगे क्या होगा कोई नहीं जानता, हम तो केवल मानसिक रूप् से तैयार रहेगें बाकी जो होगा वह किस्मत हमारी । किस्मत तो उम्म्रपद्रेश के नाएडा के रहले वाले उस यवुक की भी शायद अच्छी हो, पाकिस्तान जैसे देश से चार बच्चांें को लेकर उसकी प्रेमिका उसके पास चली आई । आ गई और रहने लगी, फिर एक दिन उन्हें लगा कि इस गुपुचुप रहने को कौन मानेगा तो उन्होने खुद ही खबर कर दी ‘‘देखो परदेश से मेरी सीमा आ गई है’’ । हल्ला मचा तो प्रशासन से लेकर आम आदमी तक चैकन्ना हुआ, क्योंकि सीमा, पाकिस्तान से आई थी कियर और देश से आई होती तो शायद इतना हल्ल नहीं मचता, पर पाकिस्तान ठहरा हमारा दुश्मन देश, तो शंका तो होगी ही, तो हुई, उससे बात की तो शंका और बढ़ गई क्योंकि वह इतनी अच्छी हिन्दी बालती है उतनी अच्छी तो हमारे देश के कई लोगनहीं बोल पाते, याने भारत आकर हिन्दी बोलना होगा इसकी तैयारी सीमा ने बहुत पहले से कर रखी होगी, वह हिन्दी भी बोलती है और अंग्रेजी भी पर ज्यादा पढ़ी लिखी नहीं है केवल पांचवीं तक पढ़ी है, हर एक का माथा ठनक गया । हमारे यहां पांचवीं तक पढ़ा व्यक्ति कुछ बोल ही नहीं पाता, फिर सीमा कैसे बोल रही है । अब प्रशासन तो उसकी जांच करेगा ही और करना भी होगा क्योंकि पाकिस्तान वैसे भी हमारे लिए हमेशा शक के घेरे में रहता है । आम आदमी की उत्सुकता भी जाग गई ‘‘बताओ साब हमारे ही देश के दूसरे कोन से प्रमिका मिलने नहीं आ पाती पर सीमा तो विदेश से आ गई वो भी चार-चार छोटे-छोटे बच्चों को लेकर ? गजब की हिम्मत और गजब का प्यार ? लोगों मंें उत्सुकता जाग गई वे देखने उसके घर पहुचने लगे, न्यूज चैनल वाले इंटव्यू लेने लगे तो सीमा और इाईलाइट हो गई । सीमा तो बहुत अच्छे से सभी के प्रश्नों का जबाब दे रही है । सुनने वाले उसकी जबाव से प्रभावित भी हो रहे हैं, इस भीड़ में हो सकता है कि ऐसे कई नौजवान हों जो आहें भर रहे हों ‘‘हमसे क्या भूल हुई….’’ । भूल तो ज्योति मौर्या के पति से हो गई, वह ऐसा कह भी रहा है । उसने अपनी पत्नी को पढ़ाया और अफसर बना दिया । अब अफसर बनी पत्नी के लिए उसका पुराना पति ‘पुराना सामान’’ हो गया । पति को अपने पुराने होने का पता चला तो उसने हायतौबा मचाना शुरू कर दिया, इस हायतौबा से यह हुआ कि जो दास्तां घर की चाहरदीवारी में कैद थी वह सार्वजनिक हो गई । लोग ज्योति के पति के साथ खड़ ेदखिाई देने लगे ‘‘अन्याय हुआ है’’ । पति को ताकत आ गई और ज्योति मौर्या अपना दास चेहरा लिए ‘‘नो कमेंन्टस’’ करती रह गई । उनके तथाकथित पेगीम मनीष दुबे भी चर्चाओं में आ गए । मनीष दुबे की फाइल खुल गई और कई पुराने प्रकरण सामने आ गए अब वे अपने निलबंन का इंतजार कर रहे हैं । निलंबन का इंतजार तो ज्योति मौर्या भी कर रहीं होगीं, उन्होने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि वे देखते ही देखते सारे देश में चर्चाओं में आ जायेगीं, उनके कार्टून् बनने लगेगें, उनके वीडियों बनने लगेगें, उनकी दास्तां का सीरियसल बनने लगेगा और हो सकता है कि भविष्य में कोई पिक्च्र भी बना दे । ज्योति मौर्या विलेन के रूप् में सामनू आ गई है । जो पति अपनी पत्नियों को पढ़ा कर अफसर बनाने का स्वप्न देख रहे थे उन्होने अपनी-अपनी पत्नियों को वापिस बुला कर चैका-चूल्हा के हवाले कर दिया । वे बेचारी लाख कस्में खाती रही ‘‘मैं ज्योति मौर्या जैसा नहीं करूंगी’’ पर कोई अब विश्वास करने को तैयार नहीं है । कुछ लोग भी सामने आ गए जिनकी पत्नियों ने उन्हें भी ऐसे छोड़ दिया है । वे भी अब अपना रोना रो रहे हैं । एक घटना किस तरह समाज पर अपना असर छोड़ती है वह ज्योति मौर्या की घटना से देखा जा सकता है । इसका अंजाम क्या होगा काई नहीं जानता पर सारे देश में बदनामी तो हो ही चुकी है । एसडीएम जैसे पद पर बैठने वाली महिला यदि संदेहास्पद हो जाए तो फिर उसका कैरियर तबाह हो ही जाता है, वैसे भी योगी जी के राज्य में ह। जो किसी को छोड़ते नहीं है । फिहलहाल तो सारा देश बाढ़, सीमा और ज्योति मौर्या के आसपास ही घूम रहा है अब लोग इससे फुरसत पायें तांे आगे के बारे में सोचें ।