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लाडला मुख्यमंत्री बोलकर राज्य और राजनीति छीन लेती है भाजपा

पंकज सीबी मिश्रा, राजनीतिक विश्लेषक एवं पत्रकार जौनपुर यूपी

आपको याद होगा कभी शिवराज सिंह लाडला मुख्यमंत्री हुआ करते थे, उन्हें मध्य प्रदेश की राजनीति छोड़नी पड़ी, वसुंधरा राजे लाडली मुख्यमंत्री हुआ करती थी, उनकी जगह एक नए चेहरे को बिठा दिया गया , कभी एकनाथ शिंदे लाडले मुख्यमंत्री हुआ करते थे और पॉवर में आते ही उनका नाम अब लोग भूल गए उधर अब नीतीश कुमार को भी लाडला मुख्यमंत्री बोल कर भाजपा के कर्ता धर्ता नरेंद्र मोदी ने नीतीश को सदमे में डाल दिया है । लोग सोशल मीडिया पर पूछ रहे की यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को लाडला कब बोलेंगे पीएम मोदी  ! दिल्ली चुनाव बीता तो भागलपुर से शुरू हुआ एनडीए का चुनावी अभियान । बिगुल बजाने खुद जा पहुंचे थे पीएम मोदी । नीतीश कुमार को लाडला मुख्यमंत्री बताकर गदगद कर दिया तो भागलपुर दुपट्टा ओढ़कर उसे भी ब्रैंड बना दिया । मखाना उद्योग को मखाना बोर्ड की उड़ान देकर किसानों के खाते में तीसरी किश्त जारी कर दी । अब चारा घोटाले और जमीन के बदले रेलवे नौकरी के खुले भ्रष्टाचार में डूबे लालू यादव को संभलने का मौका दिए बगैर भागलपुर की विशाल रैली ने बता दिया कि वर्षान्त में होने वाले चुनाव एनडीए के लिए कितने खास हैं ।दरअसल बीजेपी दुनिया की एकमात्र पार्टी है जो 24 घंटे सातों दिन 12 महीने चुनावी मोड में रहती है । मोदी लीड बीजेपी में रेस्ट आफ्टर वर्क और रेस्ट आफ्टर रेस्ट नाम का शब्द नहीं है । तभी तो कह रहे हैं कि ये लोग रुकते नहीं । खुद देख लीजिए , लोकसभा चुनाव से पहले पांच राज्य जीते , लोकसभा चुनाव जीतकर तीसरी बार सरकार बनाई , आंध्र प्रदेश में एनडीए की सरकार बनाई और ओडिशा में पहली बार प्योर बीजेपी सरकार बनीं । फिर एक के बाद एक हरियाणा , महाराष्ट्र और दिल्ली जीते और जीतते ही चल पड़े बिहार । अब देखिए बीजेपी देश को वन नेशन वन इलेक्शन की ओर ले जा रही है और विरोधी दल उसके अवगुण गिना रहे हैं । कितना अच्छा होता यदि दिल्ली हारते ही कांग्रेस और राजेडी बिहार में सीटों के बंटवारे पर चर्चा कर रहे होते। लालू और तेजस्वी न जानें अभी तक क्यों नहीं समझे कि नीतीश अब उनके साथ नहीं आने वाले बल्कि अब राष्ट्रपति की कुर्सी की तरफ जाने वाले है  ! इंडी का खेल निपट चुका है वे माने या न माने क्युकी ममता बनर्जी की परेशानी और स्टालिन की जुबान बता रही की कुछ ठीक नहीं । 11 वर्ष बीतने जा रहे हैं , अब तो समझ लीजिए बीजेपी का स्टाइल ? या फिर गलियां ही देते जाएंगे ! हिंदुत्व के लोग रुकते नहीं और तो और एक काम खतम तो दूसरा मुहिम उसी पल से शुरू , कम से कम आप खड़े तो हो जाइए इनके साथ । अगले साल बंगाल जाना है जहां बीजेपी के आधार आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत एक विशाल रैली कर आए हैं । उससे अगले साल यूपी उत्तराखंड । यह सब बताने का मकसद यह है कि बीजेपी यूं ही चुनाव नहीं जीत जाती । बीजेपी और उसके अनुषांगिक संगठन पहले ही जमीन पर मकड़जाल फैला देते हैं जिसमें हिंदुत्व और सवर्ण विरोधी विषैले कीट पतंगे फंस जाते है , जमीन की गुड़ाई भाजपा का थिंक टैंक और बूथ अध्यक्ष कर देते है और शक्ति केंद्र संयोजक विजय की फसल बो देते हैं जिस पर चुनाव के समय चढ़कर बीजेपी नेता फसल काट ले जाते हैं । और सपाई और कांग्रेसी भाई लोग सुनिए  ! ईवीएम या चुनाव आयोग को दोषी करार देकर आँसू बहाने से बेहतर है कि नफरत की दुकान समेट कर जमीन पर सबके विकास की बात कीजिए केवल पीडीए और मुल्लीम कौम ईमान कहने से सत्ता मिलने से रही । यह बीजेपी का चुनावी कौशल  है जो विपक्ष के बनाए इंडी गठबंधन को भी बिखेर देती है तो सपा जैसी स्थानीय पार्टी को यूपी की राजनीति में घीसेड घीसेड कर मारती है, यही थिंक टैंक गठबंधन के घटकों को परस्पर दुश्मन बना देता है और चुनाव जीतकर अगले राज्य की ओर निकल पड़ता है । वस्तुतः 2014 में बीजेपी के आने के बाद देश का चुनावी स्टाइल पूरी तरह बदल चुका है । इस तेजी से बदला कि विरोधी जब तक उसे समझ पाएं  , चुनाव खत्म हो जाता है ।

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