लाल बिहारी लाल
नव वर्ष उत्सव मनाने की परंपरा 4000 वर्ष पहले बेबीलोन(मध्य ईराक) से शुरु हुई थी जो 21 मार्च को मनाया जाता था, पर रोम के शासक जुलियस सीजर ने ईसा से 45 ई. पूर्व जूलियन कैलेंडर की स्थापना विश्व में पहली बार की तब ईसा पूर्व इसके 1 साल पहले का वर्ष यानी 46वें ईसा पूर्व वर्ष को 445 दिनों का कर दिया और इसे 1 जनवरी को नव वर्ष मनाया तभी से हर साल 1 जनवरी को नव वर्ष मनाते आ रहे है।
एक अमेरिकी फिजीशियन एलाँयासिस लिलिअस ने एक ग्रिगेरियन कैलेंडर की शुरुआत 15 अक्टूबर ,1582 में की इसके तहत साल दस महिने का था । इसमें भी 1 जनवरी को नया साल मनाने की शुरुआत हुई पर ईसाई इसे क्रिसमस दिवस को ही मनाते है नया साल । नया साल मनाने का मुख्य उदेश्य की जीवन में नये चेतना का संचार करना यानी जीवन चक्र को रिचार्ज करना है। इस दिन हर्ष और उल्लास से काम धाम में लग जाते है। आज सारी दुनिया में 1 जनवरी को ही अधिकांश देश नव वर्ष मनाते है। यहुदियों(हिब्रू) का नव वर्ष 5 सितंबर से 5 अक्टूबर के बीच आता है। इस्लामी कैलेंडर की नया साल मुहरर्म के दिन से शुरु होता है जो ग्रिदेरियन से प्रेरित है।
भारत देश की बात करे तो यहा अनेक जाति धर्म के लोग रहते है और अपनी संस्कृति एंव परंपराओं के अनुसार अलग-अलग समय पर नव वर्ष मनाते है। हिन्दुओं के नया वर्ष चैत मास के प्रतिपदा (पहले) के दिन मनाते है।इसी दिन सिंधी चोटी चंड मनाते है। इसी दिन सूर्योदय से ब्रम्हा जी ने सृष्टि की रचना प्रारंभ की थी। बात करे पंजाब की तो फसलों के तैयार होने पर 13 अप्रैल को वैशाखी के दिन मनाते है। वही बंगाल औऱ बंगला देश में पोहेला बोइसाख( बैसाखी) 14 और 15 अप्रैल को मनाते है। वही आंध्र प्रदेश में उगादी औऱ तमिलनाड़ू में विशु 13 या 14 अप्रैल को मनाते है जबकि 15 जनवरी को पोंगल अधिकारिक रुप से मनाया जाता है। और कर्नाटक में उगाड़ी, महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा मनाते है । माड़वाड़ी दीपावली को दिन मनाते है जबकि गुडराती दीपावली के दुसरे दिन मनाते है। इसी दिन जैन धर्म के अनुआयी भी नव वर्ष मनते है। यह त्योवहार अक्टूबर –नवंबर में आता है। काश्मिरी कैलेंडर के हिसाब से नवरेह 19 मार्च को मनाते है। चैत प्रतिपदा के दिन ही सम्राट विक्रमादित्य ने रज पाट संभाला था इन्हीं के नाम पर विक्रम समवत की शुरुआत हुई जो चैत महिने का पहला दिन हैं ,तो आप भी खुशियों के साथ नये दिन की करे शुरुआत। ।