एक ईश्वर,एक धरती,ये
अम्बर एक हमारा है।
कहीं मंदिर कहीं मस्ज़िद
कहीं ईशु सहारा है।।
क्यूँ बनते देशद्रोही तुम,
करा कर नित नये दंगे।
वतन जितना हमारा है
वतन उतना तुम्हारा है।।
बहा लो खून अपनों का
न होगा कुछ तुम्हें हासिल
पड़ोसी देश हँसता है
हमें कहकर , बेचारा है.।।
कोई हिन्दू,कोई मुस्लिम
कोई सिख है ईसाई है,
मनाते ईद होली संग
अजब अद्भुत नज़ारा है।।
न तोड़ें एकता अपनी
तनिक छोटी सी बातों से,
निभा लें संस्कृति अपनी
अडिग ये भाई चारा है।।
प्रेम सौहार्द से अपना
रहा सदियों का नाता है।
रहे शांति सदा इस देश
में इतना इशारा है…..।।
अर्चना द्विवेदी अयोध्या उत्तरप्रदेश