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आयी हैं माँ

हाथी की सवारी पर आयी हैं भवानी

करने कल्याण सबकी माता रुद्राणी।

चँवर डुलाओ माँ की आरती उतारो

अगर कपूर संग घृत दीप जलाओ ।

चमके मैया के माथे मुकुट स्वर्ण का

आओ जी सखी दर्शन माँ के पाओ।

ममता की मूरत हैं माँ अम्बे यह मेरी

आयी हैं विनती सुनने माता ब्रह्माणी।

जीवन जगमग करदें मैया सबकी ही

दुनिया अब तेरी ही ओर लखे माता।

कोई दर से तेरे माँ कब  खाली गया

राजा और रंक जो भी है यहाँ आता।

झोली को भरें मैया पूरी करें मनोरथ

हर जन की करती हैं भला कल्याणी।

देव रूप धर आते हैं धरती पर देखो

सब  मैया के दर्शन हित अभिलाषी।

नेह प्रेम जिसे मैया का मिल जाता है

होते नित संग में उसके ही कैलाशी।

पालकी सवार होके आयी हैं भवानी

करने कल्याण सबकी माता रुद्राणी।

डाॅ सरला सिंह “स्निग्धा”

दिल्ली

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