तुम्हारे कांटे भी तुमको बचा न पाएंगे,
इतना मत महको लोग तोड़ के ले जाएंगे।
प्यारी सूरत पै तुम्हारी न रहम खाएंगे,
तुम्हारे अश्क किसी को नजर न आएंगे,
तुम्हारा सीना छेद गूंथ लेंगे माला में,
तुम्हारे घाव जरा भी नहीं सहलाएंगे।
तुम्हारे दर्दे दिल को देव पर चढ़ायेंगे।
इतना मत महको लोग तोड़ के ले जाएंगे।
अपनी कलियों को देखने को तरस जाओगे,
अपनी डाली से उम्र भर नहीं मिल पाओगे,
अपने मधुबन की तुम्हें याद बहुत आएगी,
तितली भंवरे की छुअन को भी तरस जाओगे।
तुम्हारे टूटे दिल से अपना दिल खिलायेंगे।
इतना मत महको लोग तोड़ के ले जाएंगे।
कभी किसी की राह में तुम्हें बिछाएंगे
कभी अर्थी पै कभी सेज पर सजाएंगे,
जब तुम्हारी ये खूबसूरती मुरझाएगी,
सूखा तन मन किसी कचरे में फेंक जाएंगे।
तुम्हारा जिस्म भी पांवों से कुचल जाएंगे।
इतना मत महको लोग तोड़ के ले जाएंगे।
गीतकार अनिल भारद्वाज एडवोकेट हाईकोर्ट ग्वालियर
