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गुरुर ब्रहमा गुरुर विष्णु

जहाँ सिर श्रृद्धा से झुक जाते है

अपने शिक्षक सभी याद आते हैं

माँ मेरी प्रथम शिक्षिका है

मेरी जीवन की वही रचियेता है

पिता से धेर्य सीखा और सीखी स्थिरता

चुपचाप जिम्मेदारी वहन करना और मधुरता

दादी दादा नानी नाना से सीखा मिलजुल रहना

प्यार बाटना पडता जीवन में हर हाल में

पाठ सिखाया मामा मोसी बुआ चाचा नें

भाई बहनों से सीखा हमने केसे संबल पाते हैं

एक दूजे को दिल में बसाकर कैसे मुस्काते हैं

सखी सहेली गुरु बनी ये भूल नहीं सकते हम

जीवन में मस्ती के रस्ते बतलाये उन्हीं ने सब

जीवन धारा की रसधारा कैसे सरल बहाई जाये

विवाह हुआ तो जीवनसाथी ने सब सबक सिखलाये

रिश्ते नातो से जुडकर जान पाये जीवन का सार

कार्य क्षेत्र से सीख आये हम पैसा जीवन का आधार

इन्साँ को इन्साँ बनने का श्रेय मगर देना होगा

ज्ञान सभी से पाकर भी उचित राह चुनना होगा

कोन रास्ता ठीक दिशा में हमको लेकर जायेगा

शिक्षक ही वह आध्ये है जो सही मार्ग दिखलायेगा

गुरुबिन गति नहीं जीवन में बात अटल सत्य की है

गुरुज्ञान बिन जीवन यात्रा भी निरर्थक हो जाती है

मेरा नमन सभी गुरुओं को जिनसे जीवन आधार बने

सुगम सरल रास्ते देकर जीवन गरल से पार हुए

खुद जलकर जो करे उजाला प्रणाम मेरे गुरावर को है

जिनकी कृपा से सुन्दर सलौना संसार बसा

पाया इज्जत मान धन वैभव सभी शिक्षको को नमन

डॉ अलका अरोडा

प्रोफेसर देहरादून

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