‘सा’ब कुली?’ मैंने बिना उसकी ओर देखे ही ना कर दिया।
‘सा’ब, आपका सामान सीट तक पंहुचा दूंगा, बस पचास रुपए दे देना।’
मैंने मोबाइल से नजरें उठाई, बारह तेरह बरस का दुबला सा लड़का बड़ी आशान्वित नजरों से मुझे देख रहा था। मैंने कहा – ‘ज़रूरत नहीं है,’ और फिर मोबाइल पर नज़रें गड़ा दीं। वैसे भी मेरे पास एक अटैची और एक हैंड बैग ही था जिसे मैं आसानी से लेकर चल सकता था।
‘यात्रीगण कृपया ध्यान दें…’ की उद्घोषणा के साथ ही मेरा ध्यान भंग हुआ। देखा, तो वह बालक उत्साह के साथ चेहरे पर एक उम्मीद लेकर ट्रेन की प्रतीक्षा करने लगा। ट्रेन आई, यात्री उतरे, कुछ चढ़े और ट्रेन आगे बढ़ गई। उसने कई यात्रियों की चिरौरी की मगर सभी उसे झिड़क कर आगे बढ़ गए। वह वापस अपने स्थान पर आ बैठा। हताशा उसके चेहरे पर साफ़ देखी जा सकती थी।
भोपाल जाने वाली गाड़ी लेट थी। उसके पहले भी दो गाड़ियां प्लेटफॉर्म पर आकर जा चुकी थीं। हर गाड़ी के आने पर क्षण भर के लिए उसके चेहरे पर उम्मीद की किरण आती और विलुप्त हो जाती।
‘ऐ सुन…’ मुझ से रहा नहीं गया। मैंने उसे अपने पास बुलाया।
‘क्या नाम है तेरा?’
‘जी नवीन’
‘पढ़ते हो?’
‘सातवीं में’
‘यहां क्या कर रहे हो?’
‘साब, बाबू एक हफ़्ते से बीमार है। आज मैं उसके बदले आया हूं।’
‘अब तक कितनी कमाई हुई?’
‘कुछ भी नहीं साब। सब अपनी सुविधा देखते हैं, अब कुली को कोई कहां पूछता है।’
‘अच्छा! ऐसा क्यों?’
‘बाबू बताते हैं कि पहले लोग पेटियां, होल्डॉल जैसे बड़े सामान लेकर सफ़र करते थे जिससे हम कुलियों की रोजी चलती थी लेकिन अब ट्रेन में चादर कंबल मिल जाते हैं और सबसे ज्यादा नुकसान ट्रॉली बैग के कारण हुआ है। कितना भी बड़ा बैग हो यात्री स्वयं ही खींच लेता है। कुलियों की तो शामत आ गई है।’ नवीन के मासूम चेहरे पर छाई हताशा की रेखाएं और भी गाढ़ी हो गईं। उसके मुरझाए चेहरे और कांधे पर जिम्मेदारियों के बोझ ने मुझे बेचैन कर दिया।
यात्रीगण कृपया ध्यान दें…
एकाएक मेरी गाड़ी के आने की उद्घोषणा होने लगी। नवीन बोझिल कदमों से आगे बढ़ ही रहा था कि मैंने उसे आवाज़ लगा दी
‘नवीन, ज़रा मेरी अटैची एस सेवन तक पहुंचा दो।’ नवीन को मेरी बात पर यकीन नहीं हुआ। वह अवाक सा मुझे देखने लगा। एस सेवन पास ही आकर रुका था और मेरे पास सामान भी अधिक नहीं था।
‘अरे, जल्दी कर, कहीं गाड़ी छूट न जाए।’ नवीन ने मेरी अटैची अपने सिर पर रखी और एस सेवन की ओर बढ़ गया।
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अजय कुमार पाण्डेय
सी 402, वॉलफोर्ट सफायर,
रायपुर, छत्तीसगढ़
492010