लोभी लोगों का डरकर नहीं डटकर सामना करें।
कहने को हम सभी 21वीं सदी में जी रहे हैं बावजूद इसके मानवता कहीं किसी दरख़्त के नीचे दबी चली जा रही है । वर्तमान में जब हम आधुनिकता, विकास और स्वतंत्रता की बात करते हैं तो कहीं न कहीं ये सब दलीलें और बातें झूठी प्रतीत होती हैं । आज भी समाज का पढ़ा-लिखा तबका लड़की और लड़कों में भेदभाव करता है । कहीं न कहीं लोगे की संकीर्ण सोंच आज भी दहेज लोभी घरों में जीवित है और वो भी पढे-लिखे घरों में… सोचकर भी यकीन नहीं होता।
आज भी बेटी के जन्म पर घर की लक्ष्मी स्वरूपा बहू को ताने दिए जाते हैं।
दहेज की मांग करके उसके परिवारवालों को शर्मिंदा किया जाता है।
दहेज में अनेकों ऐसी मांगे की जाती हैं जो पूरा करना लड़की वालों के लिए अत्यंत मुश्किल होता है और अगर मांग पूरी नहीं की जाती तो शादी के बाद लड़की को लगातार अनेक अवसरों पर घरवालों के सामने और पीछे से तने दिए जाते हैं इतना ही नहीं बल्कि मारा-पीटा भी जाता है।
बात यही तक सीमित और ख़त्म नहीं होती दुख और प्रताड़ना की अंतिम पीड़ा का घूंट तब पीना पड़ता है जब मां-बाप और पूरे परिवार को अपनी लाडली बेटी के मरने की खबर का सामना करना पड़ता है और जिस बेटी को नाजो से पाला हो तो यकीन करना मुश्किल हो जाता है कि उनकी लड़की… बल्कि यूं कहिए कि पढ़ी-लिखी लड़की, ऐसा कुछ भी कर सकती है।
मैं तो यकीनन बिल्कुल नहीं कर सकती। आजकल की युवा पीढ़ी इतनी कमजोर हो सकती है वो भी लड़की; बिल्कुल नहीं।
स्त्री शक्ति स्वरूपा है वो सृष्टि को जन्म देने वाली सृजना है और कभी भी एक मां अपने अंदर पल रहे नवजीवन का अंत नहीं करेगी और साथ ही अपने बच्चों को भी अकेला नहीं छोड़ेगी जबकि उसे पाता है कि उसके पीछे उसके बच्चों का कोई और सहारा नहीं है। मां स्वयं दुख झेल लेगी परन्तु अपने अंश को कभी भी दुख की अग्नि में होम नहीं करेगी और न ही स्वयं आत्महत्या करने की कोशिश करेगी बल्कि यह संभव हो सकता है कि लोभी, दंभी ससुराल वाले उसकी हत्या करके हत्या को आत्महत्या का नाम दे दें।
ऐसे लोभी परिवार आज भी अजगर की तरह बेटियों को निगलने के लिए तैयार बैठे हैं। सभ्य समाज में आज भी बिटिया सुरक्षित नहीं है। इस लेख के माध्यम से मैं सभी बेटियों से यही कहूंगी कि अपनी उड़ान और सोच को ऐसे समाज की भेंट मत चढ़ाओ जिसमें संवेदनाएं नहीं हैं । जीवन में कभी ऐसी परिस्थिति का सामना करना पड़े तो अपने माता पिता से बात जरूर करें अपने आप को ससुराल वालों की सोची-समझी साजिश की भेंट न चढ़ाएं । जीवन एक बार मिलता है उसे अपने लिए और अपने तरीके से जियें और ऐसे लोभी लोगों से डरकर नहीं डटकर सामना करें। स्त्री कमजोर नहीं सशक्त है उसको किसी भी शक्ति या सहारे की जरूरत नहीं है वो स्वयं शक्ति और शक्ति स्वरूपा है।
डॉ नीरू मोहन ‘ वागीश्वरी ‘