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 ‘बुरा न मानो होली है : कुशलेन्द्र श्रीवास्तव

बुरा न मानो होली है ……अब तो कोई बुरा मानता भी नहीं है और न ही कोई रंग से भय खात है, वैसे कोई किसी को रंग लगाता भी नहीं है, सारे चेहरे स्याह रंग में यूं ही रंगे हुए हैं । राजनीति के मैदान में रंगों का त्यौहार तो चलता ही रहता है, वो होली के आने का इंतजार कब करता है । कांग्रेस अध्यक्ष खरगे जी ने राज्यसभा में बोल दिया ‘‘ठोक देगें’’ यह भी रंग था और फिर जब हंगामा हुआ तो माफी मान ली । होली पर भी ऐसा ही होता है, रंग लगा दो पक्का वाला फिर बोल दो ‘स्वारी’ । ये स्वारी जरबदस्त रामबाण औषधि है हर जगह चल जाती है । जानबूझकर में भी और अंजाने में भी । राहुल गांधी ने गुजरात में अपने ही नेताओं को कोसा हां पर उन्होने स्वारी नहीं बोला । वां वाकई दर्द भरी आवाज थी । कांग्रेस आज जिस दौर से गुजर रही है उसमें कांग्रेस से जुड़े नेताओं से लेकर कार्यकर्ताओं तक को अपना भविष्य दिखाई नहीं पड़ रहा ऊपर से स्थानीय स्तर की राजनीति भी परेशान करती होगी तो ऐसे नेता मिलजुल कर काम करते हैं । आमतौर पर इन्हें फूलछाप कांग्रेसी बोला जाता है । राहुल गांधी को गुजरात में पिछले विधान सभा चुनाव मे बहुत कम सीटें मिली थी जबकि इसके पूर्व हुए चुनाव में वो भाजपा को टक्क्र देते दिख रहे थे । गुजरात में वर्ष 2000 से भाजपा की सरकार है तो वहां सत्ता के खिलाफ एन्टीकम्बेन्शी होना चाहिए और इसका लाभ कांग्रेस को मिलना चाहिए पर ऐसा न होकर हर चुनाव में भाजपा और मजबूत होकर सामने आ जाती है । कांग्रेस के लिए और राहुल गांधी के लिए चिन्ता की यह ही बात है । वहां के कांग्रेस के ईमादार कार्यकर्ताओं ने सारे हालात बयां किए होगें ।

राहुल गांधी का दर्द भी इसी बात को लेकर छलका और उन्होने दो टूक बोल भी दिया ‘‘गुजरात का नेतृत्व, वहां के कार्यकर्ता, पार्टी के जिला, तहसील और ब्लाक  अध्यक्ष इनमें दो तरह के नेता हैं एक वे जो जनता के साथ खड़े होते हैं, जनता के लिए लड़ते हैं, जनता का सम्मान करते हैं और उनके दिल में कांग्रेस पार्टी की विचारधारा है, दूसे वे जो जनता से कटे हुए हैं, जनता का सम्मान नहीं करते और भाजपा का साथ देते हैं…..ऐसे नेताओं को पार्टी से निकाला जाएगा ।’’ राहुल गांधी का यह बयान चर्चाओं में हैं । भाजपा इसे राहुलं गांधी द्वारा अपने ही नेताओं का अपमान करना कह रही है वहीं कांग्रेस के कार्यकर्ता इसे कांग्रेस को फिर से मजबूत करने की कवायद बता रही है । कांग्रस में भितरघातियों की बड़ी श्रंखला है जो कांग्रेस में रहकर भी सत्तारूढ़ दल के साथ मिलकर अपने हितेषों को साधने का प्रयास करते हैं । कांगेस को जितना भी नुकसान हुआ है उसमें उसके ंअंदर शामिल ऐसे नेताओं की कार्यशैली जबावदेह है । गुजरात में तीन दशक से कांग्रेस हाशिए पर है उसका निराशाजनक प्रदर्शन इन अज्ञात कांग्रेसियों के कारण रहा ऐसा माना जाता रहा है । राहुल गांधी को पिछले चुनाव में जिस तरह की शिकस्त मिली उसकी कल्पना उसने नहीं की होगी । अब वह फिर चुनाव की तैयारी में उतर रही है तो निश्चित ही उसे संगठन को मजबूत करना ही होगा, पर वह कितना बेहतर कर पाएगी यह भविष्य ही बताएगा । वैसे फिलहाल के हालातों को देखते हुए लग नहीं रहा है कि कांग्रेस कोई बहुत बड़ उलटफेर कर पाने की स्थिति में है । भाजपा ने मोदी जी के नेतृत्व में गुजरात में अपने मजबूत पैर जमाए हुए है और प्रधसानमंत्री से लेकर गृहमंत्री तक जिस ढंग से गुजरात का दौरा कर चुनाव की तैयारी कर रहे हैं वह कांग्रेस के लिए संदेश है कि चुनाव राजा-मुन्ना बनकर नहीं जीते जाते इसके लिए तैयारी करनी होती है । होली है बुरा न मानो, कोई बुरा नहीं मान रहा । उत्तर प्रदेश में संभल चर्चाओं में बना हुआ है । संभल के बहाने पूरे उत्तरप्रदेश को संदेश देने की कोशिश की जाती रही है । एक पुलिस अधिकारी का वक्तव्य सामने आ गया ‘‘होली तो साल में एक बार आती है और जुमा साल में 52 बार आता है’’ । आमतौर पर ऐसे वक्तव्य नेताओं के आते हैं, पर होली है तो अफसरों पर भी रंग चढ़ गया है । पुलिस अधिका ने बोला तो बयान देशव्यापी स्वरूप ग्रहण कर गया । अब अपने नम्बर बढ़ाने के इच्छुक नेता भी ऐसी ही भाषा बोलते दिखाई देने लगे । होली है, पर होली होली जैसी नहीं रही, उस पर सियासत का रंग चढ़ गया । संभल तो बहाना रहा सभी को यह बताना था कि होली केवल हो ली की स्टाइल में नहीं होगी, वह होली की ही तरह ही होगी । वैसे मुख्यमंत्री योगी जी ने साफ कह दिया है कि संभल अब 5000 साल पुराने वाले स्वरूप् में होगा । यह हिन्दुओं के लिए आस्था की बात भी है और पुराणों के अनुसार कल्कि अवतार की तैयारी की बात भी है । वैसे अब संभल का स्वरूप् बदल चुका है, कल तो जो हिन्दु भय के साथ रह रहे थेउवे अब शान के साथ रह रहे हैं । मथुरा में भी रंगोत्सव में बयानबाजी हावी हो गई । मथुरा की होली तो वैसे भी बहुत प्रसिद्ध है,विदेश से भी लोग आते हैं यहां की होली देखने और होली खेलने भी । इस साल भी बहुत लोग आए । सभी रंगों से सरबोर दिखाई दिए । हमारे देश में एक-एक त्यौहार एक-एक राज्य या स्थान का कोई न कोई त्यौहार प्रसिद्ध होता है और बहुसंख्यक लोग वहां इकट्ठा होकर सामूहिक रूप् से त्यौहार को इंज्वाय करते हैं । मथ्ुरा की होली भी प्रसिद्ध और यहां कोई बुरा नहीं मानता । महाराष्ट्र में औरगजेब की कब्र की खुदाई का मुद्दा भी उठने लगा है । इतिहरस के पन्नों में औरंगजेब सनातन विरोधी के रूप् में दर्ज है और इससे वर्तमान पीढ़ी का आक्रोशित होना स्वाभाविक भी है । उसने जिस ढंग से हिन्दुओं पर अत्याचर किए वह एक अच्छे शासक की पहचान तो नहीं है । फिर उसकी कब्र क्यों ? कोई भी सनातनी इस प्रश्न को लेकर सामने आएगा ही । मध्यप्रदेश में महु में क्रिकेट में भारत की जीत के बाद निकाले गए जुलूस पर जिस ढंग से हमला किया गया वह निंदनीय है । भारत की जीत हर भारतीय के लिए जश्न मनाने का उत्साह लेकर आई थी । ऐसे उत्साह में खाल डालना तो निश्चित ही भारतीय भावना के प्रतिकूल है । महु में जो हुआ वह अच्छा नहीं हुआ, यही कारण है कि प्रदेश सरकार भी कड़ा रूख अपनाए हुए है । ऐसे लोगों को कठोर सजा मिलना ही चाहिए । वैसे भी प्रदेश में उत्र प्रदेश की तरह बुलडोजर अभियान प्रारंभ हो चुका है । पूर्व में भी बुलडोजर ने ऐसे मकानों को ढहाया है जो अनैतिक गतिविधियों को केन्द्र बने हुए थे । अपराधी को कड़ा दंड दिया जाना ही चाहिए । भारत ने चैम्पियन ट्राफी जीत ली है । क्रिकेट भारत का पसंदीदा खेल है । मैचे देखने वालों की संख्या बढ़ चुकी है और इसे देखने वालों में युवा पीढ़ी के अलावा बुजुर्ग पीढ़ी भी शामिल होती है । गत वर्ष जब भारत भारत में ही ओयाजित हुए विश्वकप  ट्राफी को नहीं जीत पाया था तो सभी की आंखें नम थीं, यही कारण था कि इस बार ज्यादा उत्साह था । भारत में अच्छा खेलने वाले खिलाड़ियों की संख्या इतनी अधिक हो चुकी है कि भारत वन डे के लिए अलग टीम बनाए हुए है और 20-20 के लिए अलग । जब भारत के पास विश्वस्तरीय खिलाड़ी हों तो उम्मीद तो लगती ही है । भारत ने बगैर कोई मैच हारे इस ट्राफी को जीत लिया तो हर एक भारतीय का सीना गर्व से चौड़ा हो गया । अब आपीएल की बारी है । आइपीएल खिलाड़ियों को तैयार करने में मदद कर रहा है । लगभग दो महिने चलने वाले इस क्रिकेअ कुम्भ में दर्जनों नए खिलाड़ी अपनी पहचान बनाते हैं और वे भविष्य के लिए भारत की क्रिकेट टीम के सितारा दिखाई देने लगते हैं । महिला आपीएल भी हुआ और इस बार उसे देखने वालों की संख्या में इजाफा भी हुआ । होली तो होली और अब चैत्र नवरात्रि की तैयारी है । हर एक हिन्दु इसे ही अपना नव वर्ष मानता है । हिन्दु पंचाग बदलता है और पंचाग के हिसाब से ग्रह भी बदलते हैं । चैत्र नवरात्रि के लिए मातारानी के दरबारों मे तैयाी प्रारंभ भी हो चुकी है ।

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